
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेंद्र कुमार पर मुकदमा चलाने की सीबीआई को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही राजेंद्र कुमार के वीआरएस की अर्जी को भी गृह मंत्रालय ने खारिज कर दी है. इसे कुमार के साथ ही अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
राजेंद्र कुमार पर अपने रिश्तेदारों और नजदीकियों पर ठेके दिलाने के मामले पर मुकदमा चलेगा. इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गत दिसंबर माह में राजेंद्र कुमार तथा अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया था.
सीबीआई ने गृह मंत्रालय से दिल्ली के पूर्व प्रधान सचिव पर चार्जशीट दाखिल करने के बाद उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. जिस पर अब गृह मंत्रालय ने अपनी अनुमति दे दी है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार ने भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में सीबीआई की ओर से उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किए जाने के एक महीने बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी थी और आरोप लगाया था कि जांचकर्ताओं ने उन्हें बार-बार मुख्यमंत्री को फंसाने के लिए कहा.
दिल्ली के मुख्य सचिव को लिखे अपने पत्र में 1989 बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा कि जांच प्रणाली, प्रक्रिया, प्रोटोकॉल, पारदर्शिता, शिष्टता के मामले में उन्होंने कभी भी इस तरह से 'उपेक्षा' का सामना नहीं किया और ऐसा उन्होंने पहली बार अपने मामले में महसूस किया. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चल रही सीबीआई जांच का हवाला देते हुए राजेन्द्र कुमार ने आरोप लगाया था कि 'मुझे बार-बार कहा गया कि अगर मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसमें फंसाता हूं तो मुझे छोड़ दिया जाएगा.'
आपको बता दें कि सीबीआई ने पिछले महीने राजेन्द्र कुमार सहित आठ अन्य लोगों और इंडीवर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़े के मामले में आईपीसी की धारा तथा भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत आरोपपत्र दायर किया था.
सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि आरोपी व्यक्तियों ने आपराधिक साजिश की और 2007 एवं 2015 के बीच दिए गए ठेकों कारण दिल्ली सरकार को 12 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया कि ठेके प्रदान करने के लिए अधिकारियों ने तीन करोड़ रुपये से अधिक का अनुचित लाभ भी लिया था.