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सिक्का तक रखवा देते हैं... संसद के दर्शक दीर्घा तक पहुंचने की राह कितनी होती है मुश्किल? जानिए अंदर जाने की पूरी प्रोसेस

संसद में बुधवार को सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है. शून्यकाल के दौरान दो युवक पब्लिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए. इन युवकों ने पीला धुआं छोड़ा और नारेबाजी की. ठीक उसी समय एक पुरुष और एक महिला ने संसद परिसर के बाहर 'तानाशाही नहीं चलेगी' के नारा लगाए और रंगीन धुआं भी उड़ाया. चारों को सुरक्षा बलों ने हिरासत में ले लिया है. इस पूरे घटनाक्रम को सुरक्षा में एक बड़ी चूक माना जा रहा है. क्योंकि संसद भवन में कई स्तरों का सुरक्षा इंतजाम है.

बुधवार को संसद की दर्शक दीर्घा से कूदकर दो युवकों ने हंगामा किया. बुधवार को संसद की दर्शक दीर्घा से कूदकर दो युवकों ने हंगामा किया.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर बुधवार को एक बार फिर सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है. संसद की दर्शक दीर्घा से कूदकर दो युवकों ने जमकर हंगामा काटा. कलर स्प्रे का छिड़काव कर सनसनी फैला दी. चारों तरफ धुंआ-धुंआ नजर आने से हर कोई सहम गया. इन युवकों ने सदन में नारेबाजी भी की. हालांकि, बाद में सांसदों की मदद से दोनों युवकों को पकड़ लिया गया. ये युवक बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर पास बनवाकर दर्शक दीर्घा तक पहुंचे थे. इस दरम्यान जरूरी सुरक्षा जांच की प्रोसेस भी पूरी की गई, उसके बावजूद किसी को दोनों युवकों के इरादों की भनक तक नहीं लगी. सवाल उठ रहे हैं कि संसद की दर्शक दीर्घा तक पहुंचने के लिए क्या जरूरी प्रक्रिया होती है? कैसे पास बनते हैं और अंदर सुरक्षा जांच कैसे होती है? आम लोग अंदर कैसे पहुंचते हैं? जानिए...

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बता दें कि इस मामले में तीन युवक और एक लड़की को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है. गृह मंत्रालय ने जांच के लिए सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है. इससे पहले स्पीकर ओम बिरला ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे और विजिटर पास पर फिलहाल रोक लगा दी थी. घटना शून्यकाल के वक्त दोपहर 1 बजे हुई है.

विजिटर पास के लिए क्या कहती है हैंडबुक? 

- देश का कोई भी नागरिक संसद और संसद की कार्यवाही देख सकता है. इसके लिए सदन में दर्शक दीर्घा बनाई गई है. वहां बैठकर आम आदमी सदन की कार्यवाही को देख सकता है. यहां जाने के लिए एक पास बनवाना जरूरी होता है. इसी पास से अंदर एंट्री मिलती है. एक टाइम स्लॉट के बीच में जाकर आप संसद की कार्यवाही देख सकते हैं.
- लोकसभा हैंडबुक के मुताबिक, संसद भवन में घूमने का पास संसद सचिवालय की ओर से बनवाए जाते हैं. सिर्फ सांसद ही विजिटर पास के लिए आग्रह कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें एक घोषणा पत्र देना होगा कि वे गेस्ट को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं और उनकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं. 
- संसद में एंट्री के लिए संसद सचिवालय से विजिटर पास बनता है. सांसद के कहने पर कई लोगों के समूह के लिए भी ग्रुप विजिटर पास बनवाया जा सकता है. जब पास जारी किया जाता है तो उस व्यक्ति की इंटेलिजेंस जांच होती है.
- पास के लिए विजिट की तारीख से पहले किसी भी कार्य दिवस में दोपहर 4 बजे तक निर्धारित प्रपत्र में संसद सदस्यों को आवेदन करना होता है. मुद्रित प्रपत्र सूचना कार्यालय में रखे जाते हैं. 
-सदस्यों को विजिटर कार्ड के लिए आवेदन पत्र पर एक प्रमाण पत्र देना होता है. सदस्यों को यह ध्यान रखना होता है कि कार्ड धारकों की वजह से गैलरी में होने वाली किसी भी अप्रिय घटना के लिए वे खुद जिम्मेदार होंगे.
- विजिटर पास का अनुरोध करने वाले सांसदों को एक घोषणा पत्र देना होता है कि वे अतिथि को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और उनके लिए पूरी जिम्मेदारी लेते हैं.
- सांसदों को गेस्ट के लिए एक आवेदन पत्र में विजिटर का पूरा नाम, उम्र, पिता या पति का नाम, राष्ट्रीयता, व्यवसाय, अन्य बातों के अलावा पासपोर्ट नंबर (सिर्फ विदेशियों के लिए) जैसे विवरण देने होते हैं. 
- पति के व्यवसाय का विवरण (सिर्फ गृहिणियों के मामले में), पूर्ण स्थायी पता और राज्य और दिल्ली में जहां रुके या ठहरे हैं, वो पता या जानकारी देना भी जरूरी होता है.
- विजिटर कार्ड के लिए आवेदन पत्र में यह कहना जरूरी होता है- 'उपरोक्त नामित विजिटर मेरा रिश्तेदार/व्यक्तिगत मित्र हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं और मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं.
-  सेंट्रलाइज्ड पास इशू सेल में लोकसभा सदस्यों के आवेदन-आग्रह पर विजिट से एक दिन पहले पब्लिक गैलरी के लिए आगंतुक कार्ड जारी किए जाते हैं. उपलब्ध सीटों के आधार पर कुछ ही घंटे के लिए पास दिया जाता है.
- आगंतुकों के कार्ड के लिए जो आवेदन दिया जाता है, उसमें एक सदस्य अपने चार से ज्यादा मेहमानों का नाम नहीं दे सकता है. जिस तारीख के लिए कार्ड की जरूरत है, उससे पहले कार्य दिवस पर शाम 4 बजे तक आवेदन सेंट्रलाइज्ड पास जारी करने वाले सेल में पहुंच जाना चाहिए.
- किसी सदस्य को किसी विशेष दिन के लिए निश्चित घंटे के लिए चार से ज्यादा आगंतुक कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे और आगंतुकों के कार्ड जारी करने के लिए आवेदन पत्र में आगंतुकों का पूरा विवरण देना होता है अन्यथा आगंतुकों के कार्ड जारी नहीं किए जा सकते हैं.
- सेंट्रलाइज्ड पास इश्यू सेल में रेड फॉर्म पर सदस्यों के उसी दिन आवेदन पर विजिटर कार्ड कुछ शर्तों के पालन करने की हिदायत के साथ जारी किए जाते हैं.
- उसी दिन पास जारी करने के लिए पार्टी के उप नेता या सचेतक को आवेदन पत्र पर उसी दिन पास जारी करने की सिफारिश करनी होती है. सदस्य को इसके लिए गेस्ट को संबंधित संयुक्त सचिव या अतिरिक्त सचिव के पास ले जाना भी जरूरी होता है.10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दर्शक दीर्घा में प्रवेश नहीं दिया जाता है.
- जब किसी सदस्य को उसी दिन के पास की जरूरत होती है तो वो अपने मेहमानों को रिसेप्शन कार्यालय या एमपी वेटिंग रूम सेंट्रलाइज्ड पास इश्यू सेल में बैठा सकता है.

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गैलरी-दर्शक दीर्घा तक कैसे पहुंचते हैं विजिटर...

- सदन के अंदर एक दर्शक दीर्घा बनी है. ये लोकसभा की बालकनी में है. यहां ऊपर की तरफ आम लोग बैठते हैं. अंदर जाने से पहले कई स्तर पर सुरक्षा जांच होती हैं. डोरफ्रेम मेटल डिटेक्टर (DFMD) से गुजरने से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक पढ़ी जाती है.
- संसद के कैंपस में किसी भी मोबाइल या लैपटॉप ले जाने की अनुमति नहीं होती है. यहां तक कि आपसे सिक्के भी जमा करा लिए जाते हैं. अपने सामान को सुरक्षा गेट पर जमा कराना होता है, इसके लिए आपको एक टोकन दिया जाता है.
- सबसे पहले संसद के गेट पर चेक किया जाता है. वहां सबसे पहले फोन और अन्य गैजेट्स जमा किए जाते हैं. उसके बाद अंदर एंट्री मिलती है. अंदर दो लेयर की चेकिंग होती है. 
- सदन में आपकी पूरी जानकारी पहले से पहुंच जाती है. वहां हाउस में एंट्री से पहले एक बार फिर चेकिंग होती है. 
- मशीन के अलावा मैन्युअल स्तर पर भी जांच होती है. पूरी बॉडी को चेक किया जाता है. अगर आप जूते-मोजे या अन्य जगह कोई सामान छिपाकर लाते हैं तो वो सबसे पहले डोरफ्रेम मेटल डिटेक्टर मशीन ही पकड़ लेती है. 
- फेशियल रीडिंग के उपकरण भी लगे होते हैं. सुरक्षा में लगे जवानों को यह ट्रेनिंग भी दी जाती है कि वो हावभाव को कैसे समझें और किसी संभावित घटना से पहले ही अलर्ट हो जाएं.
- दर्शक दीर्घा में भी बेंच के दोनों सिरों पर सादे कपड़ों में सुरक्षाकर्मी बैठते हैं. वरे हर हरकत पर पैनी नजर रखते हैं. अगर कोई दर्शक अचानक से नारेबाजी करने की कोशिश करता है तो ये सुरक्षाकर्मी रोकते हैं और उठाकर बाहर ले जाते हैं.

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