Advertisement

दिल्ली में मेयर नहीं चुने जाने पर बिना सदन के ही पास होगा ‘अधिकारियों का बजट’

निगम को 15 फरवरी तक अगले वित्त वर्ष के लिए प्रॉपर्टी टैक्स समेत सभी टैक्स सार्वजनिक करने होते हैं. लेकिन मेयर नहीं चुने जाने की वजह है वॉर्ड कमिटियों के साथ ही जोनल चेयरमैन का चुनाव अटक गया है. स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन का चुनाव भी नहीं हो पाया है, लिहाजा पिछले साल दिसंबर में तैयार अधिकारियों के बजट को सदन के पटल पर नहीं रखा जा सकेगा. फिर विशेष अधिकारी बिना सदन में चर्चा के ही इसे पास कर देंगे.

दिल्ली मेयर चुनाव (फोटो- ट्विटर)  दिल्ली मेयर चुनाव (फोटो- ट्विटर)
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

दिल्ली नगर निगम की 24 जनवरी को होने वाली बैठक हंगामें के चलते टल गई और दिल्ली को उसके मेयर का इंतजार अभी कब तक करना पड़ेगा ये साफ नहीं है. हालांकि इसका खामियाजा दिल्ली के लोगों को जरूर भगतना पड़ सकता है, ये करीब करीब तय है. 

15 फरवरी से पहले मेयर नहीं चुना गया तो क्या होगा? 

दरअसल निगम को 15 फरवरी तक अगले वित्त वर्ष के लिए प्रॉपर्टी टैक्स समेत सभी टैक्स सार्वजनिक करने होते हैं. लेकिन मेयर नहीं चुने जाने की वजह है वॉर्ड कमिटियों के साथ ही जोनल चेयरमैन का चुनाव अटक गया है. स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन का चुनाव भी नहीं हो पाया है, लिहाजा पिछले साल दिसंबर में तैयार अधिकारियों के बजट को सदन के पटल पर नहीं रखा जा सकेगा. फिर विशेष अधिकारी बिना सदन में चर्चा के ही इसे पास कर देंगे. दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक हर हाल में 15 फरवरी तक एमसीडी को टैक्स की दरें सार्वजनिक करनी होती हैं. ऐसे में अनुमानित बजट प्रस्ताव की चर्चा सदन में होती है उसके बाद ही बजट पास किया जाता है. बीते 8 दिसंबर को कमिश्नर ने करीब 16000 करोड़ रूपए का अनुमानित बजट पेश किया था.

Advertisement

15 फरवरी से पहले मेयर चुन लिए जाने से क्या होगा? 

पिछले साल मई के महीने में दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक कर दिया गया. तभी से निगम को अधिकारी संचालित कर रहे हैं. यही वजह है कि स्थाई समिति और दिल्ली नगर निगम की सभी पावर विशेष अधिकारी के पास हैं. ऐसे में विशेष अधिकारी किसी भी बजट प्रस्ताव को पास करने के लिए संबंधित अधिकारी से प्रस्ताव लेकर उसे पास कर देंगे. वहीं अगर निर्वाचित सदस्यों से सदन और स्थायी समिति का गठन हो जाता है तो बजट पर चर्चा वार्ड समितियों में भी होगी और स्थाई समिति और सदन के सदस्य इस पर चर्चा कर अंतिम रूप देकर पास करेंगे. 15 फरवरी से पहले सदन और स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ तो विशेष अधिकारी इसे लागू कर देंगे. 15276 करोड़ रुपए का बजट बनाया गया है. यही वजह है कि मेयर नहीं चुने जाने से विशेष अधिकारी के बजट पास करने की असीम संभावना बनी हुई है.  

Advertisement

अगर मेयर चुन लिया जाता तो कैसी होती बजट की प्रक्रिया?  

कमिश्नर सबसे पहले स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष बजट प्रस्तुत करते हैं, जिसे सभी वार्ड समितियों के साथ विशेष और कमेटियों में चर्चा के लिए भेजा जाता है. स्थाई समिति में तो पक्ष और विपक्ष दोनों चर्चा करते हैं उसके बाद स्थाई समिति का अध्यक्ष बजट को अंतिम रूप देकर सदन में भेज देता है. सदन में पार्षदों की चर्चा के बाद नेता सदन इस बजट को अंतिम रूप देते हैं. दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक हर हाल में 15 फरवरी तक एमसीडी को टैक्स की दरें सार्वजनिक करनी होती हैं. ऐसे में अनुमानित बजट प्रस्ताव की चर्चा सदन में होती है, उसके बाद ही बजट पास किया जाता है.

15000 करोड़ रुपए का पेश हुआ था बजट

दिल्ली नगर निगम का एक्ट यह कहता है कि 10 दिसंबर से पहले स्थाई समिति के अध्यक्ष के सामने बजट पेश करना जरूरी है. हर साल निगम के बजट की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू होती है लेकिन जुलाई में निगम का एकीकरण हुआ यही वजह है कि बजट इसी महीने में पेश किया गया. जुलाई में पेश बजट का अनुमान 15276 करोड़ रुपए मंजूर किया गया. आपको बता दें कि इसमें 4153 करोड़ स्वच्छता, 2632 करोड़ शिक्षा, 3225 करोड़ सामान्य प्रशासन, 1732 करोड़ लोक निर्माण और स्ट्रीट लाइटिंग, सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा के लिए 1570 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया गया था.

Advertisement

d

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement