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राजधानी दिल्ली में झमाझम बारिश ने मौसम सुहाना तो कर दिया, लेकिन कई इलाकों में जलभराव हो गया. नोएडा के बाद दिल्ली में भी खूब बादल बरसे और कई इलाकों में पानी भरने की घटनाएं सामने आई. वहीं, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बारिश का कहर टूटा है. सड़क से लेकर ट्रेन और हवाई सेवाएं बाधित हुई हैं. मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 13 जुलाई तक सभी 13 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है.
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए बताया कि पहाड़ पर जाने से पहले यात्री मौसम की जानकारी लें और पहाड़ों पर सावधानी पूर्वक चलें और नदी किनारे जाने से बचें. वहीं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश की वजह से दिल्ली में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. राजधानी दिल्ली के कैचमेंट एरिया होने के नाते बारिश और पहाड़ों से आ रहे पानी की वजह से यमुना का जलस्तर बढ़ने की संभावना है. इसलिए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश को लेकर एक्सपर्ट्स ने दिल्ली में बाढ़ का खतरा बताया है.
साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डेम्स रिवर्स एंड पीपल्स South Asia Network on Dams, Rivers and People (SANDRP) के भीम सिंह रावत का कहना है कि दिल्ली में जुलाई 2023 और अगस्त 2019 में आई बाढ़, हिमाचल में यमुना के कैचमेंट में भारी बारिश का नतीजा था. वहां पर भारी बारिश या बादल फटने की घटनाओं का सीधा कनेक्शन दिल्ली से है क्योंकि यमुना का उत्तराखंड के उत्तरकाशी में कैचमेंट है.
देहरादून के डाक पत्थर बैराज से दिल्ली का कनेक्शन
हथिनी कुंड बैराज में ज्यादातर पानी देहरादून स्थित डाक पत्थर बैराज से आता है. डाक पत्थर बैराज पर पानी उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश से आता है और इन दोनों पहाड़ी राज्यों में लगातार बारिश हो रही है, जिससे डाक पत्थर बैराज पर अधिक पानी आने लगा है. वहीं हथिनी कुंड बैराज पर ज्यादा पानी इकट्ठा होने पर उसे यमुना में डिस्चार्ज कर दिया जाता है. हथिनी कुंड बैराज से औसतन 352 से 400 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है.
60 हजार या 1 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी होने पर हथिनीकुंड बैराज के सारे गेट सुरक्षा के लिहाज से खोलने पड़ते हैं, जो कि दिल्ली की यमुना में आ जाता है. हिमालय क्षेत्र से आने वाली यमुना की सहायक नदी टोंस भी यमुना से डाकपत्थर बैराज पर ही मिल जाती है. दोनों फिर हरियाणाा के यमुना नगर जिले में हथिनीकुंड बैराज पर मिलती हैं. पल्ला में यमुना दिल्ली के शहरी क्षेत्र वजीराबाद बैराज पर मिलती हैं.
जुलाई 2023 में आई बाढ़ की वजह का नहीं हुआ खुलासा
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल भर के दौरान बाढ़ से बचाव के लिए काम नहीं हुए हैं. वहीं पिछले साल 13 जुलाई को यमुना का जल स्तर रिकार्ड 207.49 मीटर तक पहुंच गया था. जुलाई 2023 से मानसून के दौरान यमुना में ऐसी बाढ़ आई कि उसने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए 13 जुलाई 2023 को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यमुना का जलस्तर 207.5 मीटर था.
भीम सिंह रावत का दावा है कि बीते साल बाढ़ के बाद यमुना पर काम ना के बराबर हुआ है. ऐसे में इस बार भी उत्तराखंड में अधिक बारिश होने के आसार हैं. भीम सिंह रावत ने बताया कि जुलाई 2023 की बाढ़ से काफी लोग प्रभावित हुए, लेकिन साल भर बाद भी बाढ़ की वजह का खुलासा नही हुआ है. फरवरी 2024 में पार्लियामेंट्री कमिटी रिपोर्ट में भी बाढ़ आने के लिए वजीराबाद बैराज को जिम्मेदार ठहराया गया था, लेकिन इस रिपोर्ट में बाढ़ की वजह का जिक्र नहीं है.
बाढ़ से निपटने का सरकारी प्रयास
बाढ़ आने की स्थिति में आज दिल्ली सरकार की अपैक्स कमिटी की मीटिंग हुई. मीटिंग में NDRF और फ्लड कंट्रोल से जुड़े कई कदम उठाए गये. वहीं बाढ़ से संबंधित 24×7 कंट्रोल ईस्ट दिल्ली DM की निगरानी में बना हुआ है. अब इस कंट्रोल रूम में सभी विभाग शामिल होंगे. कंट्रोल रूम हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज पर भी नजर रखेगा.
बता दें कि यमुना नदी में कई जगह टापू बन गए थे, इन टापू पर पॉयलेट कट लगाए गए ताकि पानी का बहाव तेज हो सके. सरकारी इंतजामों पर यमुना एक्टिविस्ट अशोक उपाध्याय का कहना है कि पिछली बाढ़ में सुप्रीम कार्ट तक में पानी घुस गया था लिहाजा इस बार विकास मार्ग के बाएं से आयानगर नाले तक तुलनात्मक रूप से बाढ़ के पानी को रोकने के अच्छे इंतजाम हैं. आईटीओ के करीब आधा दर्जन गेट भी अभी से खोल दिये गए हैं, लेकिन बाढ़ का पानी सिर्फ आयानगर से तो आएगा नहीं इसलिए हर तरफ से अच्छी तैयारी होनी चाहिए.