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क्या एमसीडी से दिल्लीवालों की नाराजगी, बीजेपी पर पड़ी भारी?

बीजेपी के हार के कई कारण हैं लेकिन उनमें नगर निगम की खराब छवि को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. खुद बीजेपी के नेता भी मानने लगे हैं कि नगर निगम ने बीजेपी की लुटिया डुबो दी. नगर निगम के पूर्व चेयरमैन जगदीश ममगई कहते हैं की एमसीडी की छवि ने बीजेपी का भारी नुकसान किया है.

MCD के कामकाज की वजह से हार गई बीजेपी MCD के कामकाज की वजह से हार गई बीजेपी
अंकित यादव
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:16 AM IST

  • एमसीडी को लेकर नाराजगी बीजेपी पर पड़ी भारी!
  • क्या 2 साल बाद बीजेपी बचा पाएगी नगर निगम का किला?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आंधी चली और एक बार फिर से बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया. यूं तो बीजेपी के हार के कई कारण हैं लेकिन उनमें नगर निगम की खराब छवि को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. खुद बीजेपी के नेता भी मानने लगे हैं कि नगर निगम ने बीजेपी की लुटिया डुबो दी. बीजेपी के नेता और नगर निगम के पूर्व चेयरमैन जगदीश ममगई कहते हैं की एमसीडी की छवि ने बीजेपी का भारी नुकसान किया है.

जगदीश ममगई कहते हैं, "इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली में आम जनता के मन में एमसीडी को लेकर अच्छी छवि नहीं है. दिल्ली में हर जगह कूड़ा पड़ा हुआ है, नगर निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है और ऐसे में जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नगर निगम के मॉडल से दिल्ली सरकार के मॉडल की तुलना करते हैं तो नगर निगम बहुत पिछड़ा हुआ नजर आता है."

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लेकिन जगदीश ममगई कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने कोई काम नहीं किया लेकिन अरविंद केजरीवाल के काम के बदले प्रचार करने के मामले में नगर निगम बहुत पीछे रह गया.

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर भी कहते हैं कि नगर निगम की छवि से बीजेपी को नुकसान तो हुआ है लेकिन इसके लिए पार्षद नहीं अधिकारी जिम्मेदार हैं.

प्रवीण शंकर कपूर कहते हैं, "नगर निगम के फैसलों से दिल्ली की जनता में काफी नाराजगी है लेकिन इन फैसलों के पीछे नगर निगम के अधिकारी होते हैं ना कि चुने हुए नेता. मैं इस बात को पिछले कई सालों से कहता आया हूं और फिर से कह रहा हूं कि अब नगर निगम के कामकाज में बदलाव का वक्त आ गया है. या तो नगर निगम के नेताओं का काम ही खत्म कर दिया जाए या फिर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए."

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दरअसल आंकड़े बताते हैं कि इस बार बीजेपी ने तकरीबन एक दर्जन मौजूदा निगम पार्षदों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया लेकिन एक भी पार्षद विधानसभा पहुंचने में कामयाब नहीं रहे. इसके उलट आम आदमी पार्टी के तमाम पार्षद इस चुनाव में जीतने में सफल रहे.

हालांकि एमसीडी में बेहद महत्वपूर्ण पदों पर रहे और अब दिल्ली बीजेपी के महामंत्री राजेश भाटिया इस बात से  इत्तेफाक नहीं रखते.

राजेश भाटिया कहते हैं कि नगर निगम ने काम तो बहुत किया पर प्रचार ना कर पाने से छवि सुधर नहीं पाई.

राजेश भाटिया कहते हैं, "मैं नहीं मानता कि नगर निगम की छवि खराब है और इस वजह से बीजेपी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा. हां इतना तय है कि नगर निगम अपने कामकाज का प्रचार, केजरीवाल की तरह नहीं कर पाए."

जाहिर है अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव के दौरान एमसीडी के कामकाज और दिल्ली सरकार के कामकाज की तुलना करते हुए बीजेपी पर कड़ा हमला किया था.

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बीजेपी ने पार्षदों पर लगाया दांव

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने मौजूदा और पूर्व पार्षदों पर भी दांव लगाया था. शिखा राय जो दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में पार्षद हैं, उन्हें ग्रेटर कैलाश से टिकट दिया गया था पर वो हार गई.

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कैलाश सांकला, साउथ एमसीडी से बीजेपी पार्षद हैं, उन्हें भी टिकट मिला था. नॉर्थ एमसीडी में स्थाई समिति के चेयरमैन और बीजेपी के सदर बाजार से पार्षद जय प्रकाश को सदर बाजार विधानसभा से बीजेपी का उम्मीदवार बनाया गया था.

इसी तरह बीजेपी पार्षद विजय भगत, किरण वैद्य और मनीष चौधरी को भी बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था पर कोई भी उम्मीदवार जीत नही सका.

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पूर्व पार्षदों को भी मिला था टिकट

1.रेखा गुप्ता-शालीमार बाग

2.आशीष सूद-जनकपुरी

3.शैलेंद्र मांटी- मालवीय नगर

4.खुशी राम-अंबेडकरनगर

5.योगेंद्र चांदोलिया-करोल बाग

6.रविंद्र गुप्ता-मटिया महल

7.लता सोढ़ी-बल्लीमारन

8.सुमन गुप्ता-चांदनी चौक

9.मेहेंद्र नागपाल-वजीरपुर

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