
जामिया मिलिया इस्लामिया के टीचर एसोसिएशन (JTA) ने यूनिवर्सिटी में छुट्टी के नए नियमों के विरोध में प्रस्ताव पास किया. इसके साथ ही एसोसिएशन ने हिंदी डिपार्टमेंट के कुछ फैकल्टी को कारण बताओ नोटिस भेजे जाने का भी विरोध जताया है. दरअसल, प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की वार्षिक रिपोर्ट का अनुवाद करने से इनकार करने पर कुछ टीचर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
जामिया मिलिया इस्लामिया के टीचर एसोसिएशन की आम निकाय की 3 अगस्त को बैठक हुई थी. इसमें कारण बताओ नोटिस के केसों की जांच के लिए कमेटी के गठन समेत तमाम मांगों को उठाया गया है. हालांकि, यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि टीचर एसोसिएशन के पास जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने का कोई अधिकार नहीं है, क्यों कि इसका कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो गया है.
वहीं, टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष माजिद जमील ने बताया कि हमारा कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो जाएग. हमारे पास प्रस्ताव पारित करने का अधिकार है. टीचर एसोसिएशन का कार्यकाल दो साल का होता है.
बैठक में उठाई गईं ये मांगें
JTA ने अपनी बैठक में छुट्टी के नए नियमों को रद्द करने की मांग की है. एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि हाल ही में लागू किए गए अवकाश नियम प्रतिगामी हैं और विभिन्न टीचिंग रिसर्च और अन्य गतिविधियों में टीचरों की हिस्सेदारी को प्रभावित करेंगे.
इतना ही नहीं शिक्षक संघ ने कोरोना काल के दौरान लागू किए गए नियमों को भी वापस लेने की मांग की है. दो महीने की गर्मियों की छुट्टी और शीतकालीन अवकाश के साथ नियमित शैक्षणिक कैलेंडर जारी करने की भी मांग की गई है. इतना ही नहीं कैंपस के हॉस्टल और कैंपस को तुरंत खोलने की भी मांग की गई है. JTA ने दावा किया कि हिंदी विभाग के आठ शिक्षकों को 'अनुचित' कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इन्हें तुरंत रद्द किया जाना चाहिए
JTA ने यह भी मांग की कि इन शिक्षकों को जारी किए गए कारण बताओ मामलों में जांच के लिए एक जांच कमेटी का गठन होना चाहिए, जिसमें एसोसिएशन का एसोसिएशन भी हो. इतना ही नहीं सभी लंबित मामलों को जल्द निपटाने के लिए भी प्रस्ताव पास किया गया है.
JTA के बयान के मुताबिक, भारी बारिश के बावजूद इस मीटिंग में 220 टीचर मौजूद रहे. दरअसल, हिंदी विभाग के टीचर हर साल यूनिवर्सिटी की सालाना रिपोर्ट को अंग्रेजी से हिंदी में ट्रांसलेट करते हैं. लेकिन इस बार टीचर्स ने ये काम करने से इंकार कर दिया. ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हिंदी विभाग के टीचरों को नोटिस जारी किया.