
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस के मामले पहले की तुलना में काफी कम सामने आ रहे हैं. ऐसे में स्कूल-कॉलेजों को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोला जाने लगा है. दिल्ली में हाल ही में स्कूलों के खोले जाने के बाद जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) यूनिवर्सिटी को भी सोमवार से खोल दिया जाएगा. यूनिवर्सिटी का कैंपस सोमवार (6सितंबर) से चरणबद्ध तरीके से खुलेगा.
जिन पीएचडी स्टूडेंट्स को इस साल 31 दिसंबर तक अपनी थीसिस पूरी करनी है, उन्हें कैंपस में प्रवेश करने का मौका मिलेगा. इसके अलावा, फिजिकल डिसेबिलिटी वाले स्टूडेंट्स को भी यूनिवर्सिटी में आने की अनुमति होगी. बीआर अंबेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी भी 50 फीसदी कैपेसिटी के साथ खोली जाएगी.
यूनिवर्सिटी खोले जाने को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, जो भी कैंपस आएगा, उसे आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट लानी जरूरी होगी. कोरोना की जांच 72 घंटे से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा, सभी एकेडेमिक एक्टिविटीज ऑनलाइन भी चलती रहेंगी.
इसके अलावा, कैंपस में आने वाले स्टूडेंट्स को सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरकर देना होगा और डीडीएमके द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करना होगा. जो स्टूडेंट्स और टीचर्स आदि दिल्ली के किसी भी कंटेनमेंट जोन में रह रहे होंगे, उन्हें यूनिवर्सिटी के कैंपस में दाखिल होने की इजाजत नहीं होगी.
कैंपस की रेग्युलर सफाई और सैनिटाइजेशन को कराना जरूरी कर दिया गया है, ताकि लोगों के कोरोना संक्रमित होने की आंशका कम से कम रहे. वहीं, स्टूडेंट्स, स्टाफ, टीचर्स आदि को बिना मास्क के यूनिवर्सिटी परिसर में एंट्री नहीं मिलेगी. गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि यदि किसी स्टूडेंट को गंभीर बीमारी है तो उसे कैंपस नहीं आने का सुझाव दिया जाता है.