
JNU में इस समय एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर बवाल हो गया है. डॉक्यूमेंट्री का नाम है 'राम के नाम'. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 4 दिसंबर को रात 9.30 बजे एक सर्कुलर जारी कर इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी है. जेएनयू प्रशासन ने दोहराया कि छात्रों के समूह द्वारा छात्र संघ (जेएनयूएसयू) से अनुमति नहीं मांगी गई और स्क्रीनिंग के लिए पैम्फलेट जारी कर दिया गया.
जेएनयू में डॉक्यूमेंट्री पर बवाल
सर्कुलर में लिखा गया कि यह इस बात पर जोर देने के लिए है कि इस तरह की अनधिकृत गतिविधि विश्वविद्यालय परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकती है. विश्वविद्यालय ने कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी. जेएनयू ने आगे कहा कि संबंधित छात्रों को सख्त सलाह दी जाती है कि वे प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दें, ऐसा न करने पर विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है.
बीजेपी क्यों है नाराज?
वहीं दिल्ली बीजेपी के नेता हरीश खुराना ने कहा कि आज एक बार फिर JNU के वामपंथी संगठनों द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई. वहां बिना अनुमति के एक फिल्म को दिखाने की बात कही गई. इसके अलावा छात्रों के एक ग्रुप ने बाबरी मस्जिद का पोस्टर लगाया, ऐसे में ये सब गतिविधियां सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश है. हरीश खुराना ने मांग की है कि जो लोग भी इसके पीछे हैं उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए.
अब जिस डॉक्यूमेंट्री पर बवाल चल रहा है उसका निर्देश आनंद पटवर्धन ने किया है और ये डॉक्यूमेंट्री साल 1992 में रिलीज की गई थी. ये डॉक्यूमेंट्री राम मंदिर बनाने के अभियान पर रोशनी डालती है.