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कश्मीरी पंडितों की हत्या से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई, SIT जांच की है मांग

जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की लगातार हो रही हत्या की एसआईटी जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. गैर सरकारी सामाजिक संगठन वी द सिटीजन ने यह जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न और विस्थापितों के पुनर्वास की भी मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST

सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की लगातार हो रही हत्या की एसआईटी जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. जनहित याचिका में कश्मीर घाटी में 1990 से 2003 के बीच कश्मीरी पंडितों और सिखों की हत्या और उन पर हुए अत्याचार की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने की मांग की है. इसके साथ ही हाल के महीनों में कश्मीर घाटी में मारे गए कश्मीरी पंडितों की हत्या की जांच की भी मांग की गई है. 

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इस याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ करेगी. बता दें कि गैर सरकारी सामाजिक संगठन वी द सिटीजन (We the Citizen) ने यह जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न और विस्थापितों के पुनर्वास का आदेश देने को कहा गया है. 

याचिका में कश्मीरियों के विस्थापन से जुड़े लोगों के संस्मरण पर लिखी गई किताबों का हवाला दिया गया. 

कश्मीरी पंडितों और सिखों की गणना की मांग

इस जनहित याचिका में कश्मीर से पलायन कर देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडितों और सिखों की गणना कराने का आदेश देने की भी मांग की गई है. 1990 के बाद कश्मीर से पलायन कर चुके कश्मीरी पीड़ितों की पहचान कर उनका पुनर्वास करने को कहा गया है. 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 2017 मे भी इस तरह की एक याचिका खारिज कर चुका है. दरअसल 1989-90 के दौरान घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई थी. 

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इससे पहले आज से 32 साल पहले 1990 में कश्मीर घाटी से पलायन कर दिल्ली आ बसे कश्मीरी पंडितों ने मांग की थी कि दिल्ली सरकार बाइफरकेशन को लागू करें. कश्मीरी पंडितों का कहना है कि तीन साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से आदेश जारी होने के बाद भी दिल्ली सरकार बाइफरकेशन को मंजूरी नहीं दे रही है. कश्मीरी पंडितों का कहना है कि इसलिए उन्होंने दोबारा अदालत की शरण में जाने का फैसला किया है.

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