
दिल्ली में पेंशन एक बड़ा मुद्दा है. पिछले साल हाईकोर्ट ने पेंशन देने का अधिकार नगर निगम से छीनकर दिल्ली सरकार को सौंप दिया था, लेकिन अब राज्य सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए पार्षदों के पेंशन पोर्टल को बंद कर दिया है यानि अब नगर निगम के पार्षद किसी को भी पेंशन के लिए इनरोल नहीं करा सकते हैं. अब यह अधिकार अब केवल विधायकों के पास है.
सरकार के इस कदम से नगर निगम खासा नाराज है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर नरेंद्र चावला कहते हैं कि सबसे पहले शिकायतकर्ता नगर निगम के पास आते हैं. हमारे द्वारा भेजे गए एप्लीकेशन रद्द कर दिए गए हैं. यहां तक कि जिस वेबसाइट पर हम लोग लोगों को पेंशन के लिए इनरोल कर सकते थे, उसे भी सरकार ने बंद कर दिया. इस बाबत पार्षद जय प्रकाश ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी भी लिखी है. जयप्रकाश कहते हैं विधायकों के हाथ में अधिकार देने का मतलब है कि सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है.
दिल्ली सरकार के पास लगभग साढ़े पांच लाख लोगों को पेंशन देने का अधिकार है. नगर निगम के मुताबिक एक लाख लोगों के पेंशन अनुरोध को रद्द किया गया है. सरकार 60-69 वर्ष के लोगों को 2 हजार और उससे ऊपर के उम्र वालों को 2500 रूपये प्रति माह पेंशन देती है. इसके लिए 1000 करोड़ का बजट है.
आरोपों को नकारते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष अनिल लाकड़ा का कहना है कि निगम की गड़बड़ियों को देखते हुए ही दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकार राज्य सरकार को दिया था.
बहरहाल एक बात तो साफ है कि दिल्ली सरकार और नगर निगम के बीच इस खींचतान से हजारों योग्य लोग पेंशन से वंचित रह जाएंगे.