Advertisement

कन्हैया पर चार्जशीट मामले में केजरीवाल सरकार की अनुमति का इंतजार

जेएनयू छात्र नेता रहे कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट फाइल की है, लेकिन दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने चार्जशीट के लिए अनुमति न देकर रोड़ा अटका दिया है.

कन्हैया कुमार (तस्वीर- aajtak.in) कन्हैया कुमार (तस्वीर- aajtak.in)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ 2016 में भारत विरोधी नारे लगाने और नफरत व असंतोष भड़काने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट फाइल की है. इस चार्जशीट पर 19 जनवरी को अदालत में सुनवाई होनी है. मामला देशद्रोह का है और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अभी तक मामले में चार्जशीट को लेकर अनुमति नहीं दी है. बता दें कि देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार से अनुमति लेनी होती है.

Advertisement

ऐसे मामले में दिल्ली सरकार का लॉ डिपार्टमेंट दिल्ली पुलिस को अनुमति प्रदान करता है. जिसके बाद यह फाइल लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) के पास भेजी जाती है. जिसके बाद पुलिस को मामले में आगे बढ़ने की हरी झंडी मिलती है. हालांकि, इस मामले में दिल्ली सरकार ने अभी तक इजाजत नहीं दी है. ऐसे में अगर पुलिस को इजाजत नहीं मिली तो कन्हैया के खिलाफ फाइल की गई चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा. पुलिस ने 14 जनवरी को ही फाइल आगे बढ़ा दी थी. मामले में 19 जनवरी को सुनवाई होनी है.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली पुलिस द्वारा केंद्र के खिलाफ समय-समय पर आवाज बुलंद करने वाले कन्हैया के खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट पर चारों तरफ से सवाल खड़े हो रहे हैं. करीब तीन साल बाद दिल्ली पुलिस द्वारा चार्जशीट फाइल करने को लेकर विपक्षी दल लगातार केंद्र की सरकार पर विरोधियों की आवाज को दबाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस केंद्र के तहत आती है और मोदी सरकार चुनाव से पहले इस मामले को उठाकर विरोधी खेमे को देशविरोधी गतिविधियों को हवा देने वाले के रूप में दर्शाना चाहती है.

Advertisement

आरोपों का सामना कर रही पुलिस ने कहा कि ऐसे मामलों में आमतौर पर इतना वक्त लग जाता है क्योंकि ऐसे मामलों में देश भर में जांच की जाती है, जिसके तहत ढेर सारे रिकार्ड तथा सबूत इकट्ठा किए गए. गौरतलब है कि कन्हैया को इस मामले में विपक्षी दलों का साथ समय समय पर मिलता रहा है. बीते बुधवार को हाल ही में नौकरी से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने इस मामले को लेकर केंद्र पर निशाना साधा था. उन्होंने कन्हैया व अन्य के खिलाफ हो रही कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का मजाक बताया था. फैसल ने ट्वीट किया, 'कन्हैया कुमार एवं आठ अन्य के खिलाफ देशद्रोह कानून लगाया जाना अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का उपहास है. आईपीसी की धारा 124 समय को देखते हुए बेतुकी हो चुकी है. दुनिया काफी आगे बढ़ गई है. समय आ गया है जब हमारी सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए.'

बता दें कि दिल्ली पुलिस ने कन्हैया समेत जेएनयू के 9 अन्य छात्रों पर देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया था. इन आरोपियों में 7 कश्मीरी भी शामिल हैं. दिल्ली पुलिस ने 1200 पन्नों के चार्जशीट में कई गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा आरोप लगाया गया है कि संसद हमले के दोषी और आतंकी अफजल गुरू को फांसी दिए जाने के बाद जेएनयू परिसर में 9 फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पुलिस के मुताबिक इसमें कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए.

Advertisement

पुलिस का आरोप है कि उस दिन जेएनयू में जहां नारेबाजी हो रही थी वहां कन्हैया भी प्रदर्शनकारियों के साथ मौजूद थे. गवाहों के मुताबिक नारेबाजी वाली जगह पर कन्हैया मौजूद था और वहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में आतंकी अफजल के पोस्टर थे. इस मसले में बीजेपी सांसद महेश गिरि और एबीवीपी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों के बाद वसंत कुंज पुलिस थाने में मामला दर्ज किया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement