
दिल्ली में बीते कई दिनों से लगातार केजरीवाल सरकार और दिल्ली नगर निगम के बीच फंड को लेकर टकराव चल रहा है. अब केजरीवाल सरकार ने ये दावा किया है कि तीनों ही नगर निगम को कुल मिलाकर 100 करोड़ रुपए डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए जारी कर दिए हैं.
बता दें कि पिछले हफ्ते ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साउथ एमसीडी और तमाम दूसरे नेताओं ने एक हफ्ते की मोहलत देते हुए केजरीवाल सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर फंड जारी नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री आवास के घर के बाहर एमसीडी के मेयर धरना देने बैठ जाएंगे.
दिल्ली सरकार की ओर से आधिकारिक प्रेस रिलीज में ये जानकारी दी गई है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देशों पर शहरी विकास मंत्रालय की ओर से मॉनसून के दौरान होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने तीनों ही नगर निगम को 108 करोड़ रुपए दिए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा नॉर्थ एमसीडी को 57 करोड़ रुपए, ईस्ट एमसीडी को 28 करोड़ रुपए और साउथ एमसीडी को 23 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं. सरकार ने यह पैसा हेल्थ फंड के तहत दिया है.
दिल्ली सरकार की ओर से जारी रिलीज में ये भी बताया गया है कि सरकार ने नगर निगम की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए करीब 50 करोड़ रुपए तीनों ही निगमों को जारी किए हैं, जिसमें नॉर्थ एमसीडी को 12 करोड़ रुपए, साउथ MCD को 22 करोड़ रुपए और ईस्ट एमसीडी को करीब 12 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
दरअसल, बीते दिनों एमसीडी की ओर से यह जानकारी दी गई थी कि उसके पास ना तो अस्पतालों में दवाएं खरीदने के लिए फंड बचा है और न ही स्कूलों में बच्चों की कॉपी किताबों से लेकर डेस्क तक खऱीदेना का पैसा बचा है. ऐसे में दिल्ली सरकार से जल्द ही फंड जारी करने की मांग की थी.
ऊंट के मुंह में जीरा है ये फंडः MCD
वहीं, इस जानकारी के बाद दिल्ली नगर निगम की ओर से ये कहा गया है कि अभी तक उनके पास ये फंड नहीं आया है, लेकिन अगर दिल्ली सरकार ने इतना फंड रिलीज किया है तो यह महज खानापूर्ति है, क्योंकि इतने फंड से कोई भी विकास कार्य नहीं हो सकता है. नगर निगम की ओर से कहा गया है कि हेल्थ फंड के लिए 800 करोड़ रुपये से ज्यादा की मांग की गई थी, जबकि केवल 100 करोड़ रुपए जारी किया गया है. वहीं, शिक्षा व्यवस्था के लिए भी 500 करोड़ रुपए की मांग की गई थी.