
दिल्ली हाई कोर्ट बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है, जिसमें दिल्ली सरकार के 'स्कूल ऑफ एक्सीलेंस' (SoE) के आधार पर सरकारी स्कूलों में एडमिशन क्राइटेरिया को तय किया गया है. यह याचिका दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 10वीं कक्षा के छात्र द्वारा ही लगाई गई है, जिसमें दिल्ली सरकार के SoE को भेदभावपूर्ण और तर्कसंगत ना होने की बात कही गई है.
छात्र ने 10वीं की परीक्षा एक सरकारी स्कूल से ही पूरी की, लेकिन 11वीं में बेहतर शिक्षा के लिए जब उसने प्रवेश के लिए SoE कैटेगरी के स्कूल में एडमिशन के लिए एप्लीकेशन लगाई तो उसे रिजेक्ट कर दिया गया. SoE केटेगरी मैं आने वाले स्कूल दिल्ली सरकार के अधीन चलने वाले वो सरकारी स्कूल हैं, जिसमें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है.
फिलहाल इन स्कूलों की संख्या दिल्ली में सिर्फ 5 हैं. दिल्ली सरकार के बाकी और सरकारी स्कूलों की तुलना में SoE कैटेगरी के स्कूलों में पढ़ाई के उच्च मापदंड रखे गए हैं. छात्र ने अपनी याचिका में बताया है कि यहां प्रवेश के लिए जो नियम बनाए गए हैं वो बाकी और सरकारी स्कूलों से बिल्कुल अलग हैं जो छात्रों के साथ भेदभाव पूर्ण है. सरकारी धन से चलने वाले सभी स्कूलों में सभी छात्रों को बराबरी के आधार पर प्रवेश मिलना चाहिए.
छात्र के मुताबिक, उसके पास 51% अंकों के मुकाबले हिंदी में सिर्फ 49% अंक हैं, उसे प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, जबकि विज्ञान स्ट्रीम में SoE में प्रवेश पाने के लिए, एक छात्र को गणित में 71%, विज्ञान में 71%, अंग्रेजी में 61%, सामाजिक विज्ञान में 51% और हिंदी में अपने कक्षा 10 के परिणामों में 51% की आवश्यकता होती है.
अंग्रेजी में, याचिकाकर्ता के अंक 87, गणित में 73, विज्ञान में 77 और सामाजिक विज्ञान में 57 अंक हैं. जबकि बाकी सरकारी स्कूलों में विज्ञान स्ट्रीम में प्रवेश के लिए 55% अंक अंग्रेजी और गणित में जबकि विज्ञान में 50% के साथ होना आवश्यक है.
याचिका में कहा गया है कि सरकार की ओर से शुरू किए गए स्कूल ऑफ एक्सीलेंस छात्रों में भेदभाव पैदा करने वाला और सार्वजनिक हित के खिलाफ है. सरकारी खर्चे पर चलने वाले ये स्कूल सार्वजनिक नीति के विरोध में तो हैं ही, साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है. इसके अलावा दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 के प्रावधान का भी उल्लंघन करते हैं.