
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर पहली बार रिश्वतखोरी का आरोप लगा है. आम आदमी पार्टी से बड़े बेआबरू होकर निकाल दिए गए योगेंद्र यादव को भी इस आरोप पर यकीन नहीं हो रहा है. कपिल मिश्रा के साथ खड़े कुमार विश्वास भी कन्नी काट गए. लेकिन इस कलंक कथा में एक किरदार ऐसा है जिसका बार-बार जिक्र हो रहा है, वो किरदार हैं सत्येंद्र जैन. जिन के सिर पर केजरीवाल इतनी मजबूती से हाथ रखे हुए हैं कि सबको हैरानी हो रही है.
सवाल ये है कि क्या केजरीवाल को सत्येंद्र जैन की करनी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि सच यही है कि केजरीवाल पर रिश्वतखोरी के आरोप पर ना तो योगेंद्र यादव यकीन कर रहे हैं ना कुमार विश्वास जबकि सत्येंद्र जैन पर बीजेपी के हमले की धार केजरीवाल से भी ज्यादा तेज है.
कपिल मिश्रा के आरोपों पर बीजेपी दो दलीलों से केजरीवाल पर हमले कर रही है. पहली दलील ये कि कपिल मिश्रा कैबिनेट के सदस्य थे, इसलिए वो जो कुछ कह रहे हैं उसे आंखों देखा सबूत माना जाए. दूसरी दलील ये कि केजरीवाल, सत्येंद्र जैन पर लगने वाले आरोपों में सुरक्षा कवच बनकर खड़े रहे, जिसका मतलब ये कि दाल में कहीं ना कहीं कुछ काला जरूर है.
क्या सत्येंद्र जैन की सरपरस्ती की कीमत केजरीवाल को चुकानी पड़ रही है? क्या सत्येंद्र जैन केजरीवाल की वो कमजोर कड़ी हैं जिस पर बीजेपी लगातार हथौड़ा मारकर ब्रांड केजरीवाल का दम निकाल रही है. सत्येंद्र जैन पर ये पहला आरोप नहीं हैं. आरोपों की लंबी फेहरिस्त उनके नाम से दर्ज है.
-सत्येंद्र जैन पर सबसे गंभीर आरोप हवाला कारोबारियों से संपर्क रखने का है.
-सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने कंपनियां बनाकर हवाला से करोड़ो बनाए और उनका इस्तेमाल कर 200 एकड़ जमीन खरीदी.
-आयकर विभाग ने इन मामलों में जैन के खिलाफ नोटिस जारी किया, शुरुआती जांच भी की और कुछ संपत्तियां कुर्क भी की गईं.
-सत्येंद्र जैन स्वास्थ्य मंत्रालय में सलाहकार के पद पर बेटी की नियुक्ति को लेकर भी सवालों के घेरे में आए.
-जैन की बेटी सौम्या की नियुक्ति पर शुंगलू कमेटी ने भी सवाल उठाए.
-केजरीवाल के रिश्तेदार निकुंज अग्रवाल को ओएसडी बनाने पर सत्येंद्र जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी क्योंकि निकुंज की नियुक्ति में धांधली के आरोप लगे थे.
केजरीवाल के कैबिनेट से अंदर-बाहर के सिलिसिले के बीच सत्येंद्र जैन की कुर्सी सलामत रही. तमाम आरोपों के बावजद सत्येंद्र जैन का बाल बांका नहीं हुआ. सत्येंद्र जैन केजरीवाल के विश्वासपात्र बने रहे और उनकी वजह से बीजेपी आम आदमी पार्टी पर हमलवर होती रही. ये कम हैरानी की बात नहीं.