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'खड़गे दलित हैं और दलित को डिनर में ना बुलाना छोटी मानसिकता है', AAP नेता ने G20 डिनर को लेकर केंद्र को घेरा

G20 समिट की सफलता के बाद आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जी20 आयोजन बहुत अच्छा था. लेकिन भारत मंडपम में 3200 करोड रुपए खर्च किए गए, जहां पानी भर जाए तो सवाल जरूर खड़े होते हैं कि बेसिक इंजीनियरिंग का ख्याल नहीं रखा गया. 

दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

भारत ने इस वर्ष G20 की सफल अध्यक्षता की. इस अध्यक्षता को लेकर आजतक ने दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज से बातचीत की. इस दौरान उनसे G20 की सफलता और आयोजन के श्रेय समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई. AAP नेता ने कहा कि जी20 आयोजन बहुत अच्छा था. लेकिन भारत मंडपम में 3200 करोड रुपए खर्च किए गए, जहां पानी भर जाए तो सवाल जरूर खड़े होते हैं कि बेसिक इंजीनियरिंग का ख्याल नहीं रखा गया. 

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1. क्या जी20 आयोजन को आप सफल मान रहे हैं?

जवाब: G20 भारत के लिए एक बड़ा मौका था. भारत ने बहुत अच्छे से कार्यक्रम को किया है. दिल्ली वालों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बड़े योगदान दिया है. दिल्ली वालों पर लाखों पाबंदी लगी हुई थीं, दिल्ली वालों ने काफी ट्रैफिक जाम भी झेला और अच्छा मौसम होने के बावजूद लोग अपने घरों में कैद रहे. G20 आयोजन के लिए सौंदर्यकरण में सारा पैसा दिल्ली के टैक्स का पैसा खर्च हुआ.

2. क्या G20 के सफल आयोजन के लिए केंद्र सरकार को श्रेय दे रहे हैं?

जवाब: यह तो सबका साथ है. जब हम वसुदेव कुटुंबकम कहते हैं, इसमें सारी दुनिया ही परिवार है तो यह देश भी एक परिवार है. अलग-अलग राज्य में जी-20 के छोटे-छोटे कार्यक्रम हुए थे. सभी राज्य सरकार, केंद्र सरकार एजेंसियों का धन्यवाद. अगर आप किसी एक को क्रेडिट देना चाहेंगे या फिर कोई एक आदमी क्रेडिट लेना चाहेगा, तो उसका अर्थ हुआ कि वह परिवार से निकलकर बाहर देखना चाह रहा है.

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3. कांग्रेस ने ममता बनर्जी के जी20 डिनर में शामिल होने पर ऐतराज जताया है, क्या कहेंगे? 

जवाब: वह उनकी (कांग्रेस) समझ हो सकती है. मुझे मालूम है कि कांग्रेस के हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी जी20 डिनर में शामिल हुए थे. यह उत्सव पूरे भारत का उत्सव है, इसमें जाना चाहिए. कांग्रेस का एक एतराज सही है क्योंकि जब आप  इतनी दूर के अफ्रीकन यूनियन को भी परिवार मानते हैं, तो संसद में विपक्षी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को परिवार का हिस्सा ना मानना दुर्भाग्यपूर्ण है. ज्यादा दुर्भाग्य इस बात का है कि मल्लिकार्जुन खड़गे एक दलित हैं. एक दलित को भोज पर ना बुलाना छोटी मानसिकता है, इससे केंद्र सरकार को बचाना चाहिए था और बचा जा भी सकता था.

4. क्या जी20 आयोजन या फिर व्यवस्थाओं में कोई कमी नजर आई?

जवाब: जी20 आयोजन बहुत अच्छा था. लेकिन भारत मंडपम में 3200 करोड रुपए खर्च किए गए, जहां पानी भर जाए तो सवाल जरूर खड़े होते हैं कि बेसिक इंजीनियरिंग का ख्याल नहीं रखा गया. विदेशियों के सामने इतने बड़े आयोजन में पानी भरने की जवाबदेही तय होनी चाहिए कि कौन अफसर और ठेकेदार जिम्मेदार हैं.

5. झुग्गी झोपड़ियां को छुपाने के लिए टेंट लगाए गए, क्या कहेंगे?

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जवाब: दिल्ली की चुनी हुई सरकार की तरफ से इस तरह के कोई आदेश नहीं दिए गए थे. ये एलजी साहब और केंद्र सरकार के आदेश जरूर हो सकते हैं, इसकी जांच होनी चाहिए. गरीब लोगों को छुपाकर अगर कोई देश अमीर बन सकता तो सभी देश अपने गरीबों को छुपा कर कह देते कि हम अमीर हो गए. गरीबों को छुपाना नहीं चाहिए बल्कि गरीबों को अमीर बनना चाहिए. गरीब आदमी भी उतना ही टैक्स देता है जितना एक अमीर आदमी देता है. वह गरीब आदमी जो माचिस चावल खरीदता है उसके जीएसटी से यह भारत मंडपम बना है और इस बात को केंद्र सरकार को याद रखना चाहिए.

6. ऐसा मुद्दा जिसपर जी20 में चर्चा नहीं हुई?

जवाब: विदेशी मीडिया ने एक मुद्दा उठाया है कि जब अमरीकी राष्ट्रपति द्विपक्षीय वार्ता करते हैं तो प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है. लेकिन उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस की इजाजत नहीं दी गई. अमेरिकी राष्ट्रपति को जब वियतनाम में मौका मिला तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ह्यूमन राइट्स, फ़्रीडम ऑफ प्रेस और सिविल सोसाइटी पर ध्यान देना चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यह कहा जाना एक चिंता का विषय है.

7. अगर जी20 आयोजन बीजेपी का चुनावी मुद्दा बनता है तो विपक्षी गठबंधन क्या करेगा?

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जवाब: चुनावी मुद्दा तब बनता है जब जनता उस मुद्दे को मानेगी. उन्हें दिल्ली के गरीब आदमी को बताना पड़ेगा कि जी-20 से उसकी जेब में क्या गया, या उसके बेटे की पढ़ाई में क्या फर्क पड़ेगा. भारत मंडपम में जो भोज हुआ उससे उस गरीब आदमी की थाली में क्या दाल और चावल बढ़ेगा? ये लोग जरूर कह सकते हैं कि हमने चांदी की थाली पर मिलेट्स परोसे. मगर इन्हें गरीब आदमी को बताना पड़ेगा कि उसकी जो स्टील की थाली है, उसके अंदर उसे सोने और चांदी की थाली से क्या मिल सकेगा. अगर अच्छा असर पड़ेगा तो बिल्कुल मुद्दा बनेगा, लेकिन चांदी की थाली और गरीब आदमी की थाली का कोई लेना-देना नहीं है तो मुद्दा नहीं बनेगा.

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