
किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली की अदालतों में वकीलों ने भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों की तरफ से भारत बंद के आह्वान को दिल्ली के वकीलों ने भी समर्थन दिया. वकीलों ने कोर्ट परिसर में ही प्रदर्शन किया. ये एक सांकेतिक प्रदर्शन था जिसमें वकीलों ने कोर्ट के कामकाज को तो ठप्प नहीं किया,लेकिन कामकाज के घंटों के दौरान ही कुछ समय निकालकर सभी वकील इकट्ठा हुए और किसानों के समर्थन में अपनी आवाज को बुलंद किया.
वकीलों के प्रदर्शन का आह्वान दिल्ली में दिल्ली बार काउंसिल और बार कोऑर्डिनेशन कमिटी की तरफ से किया गया था. बार कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन संजीव नासियार ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार किसान आंदोलन को खालिस्तान चीन और पाकिस्तान से जोड़कर उन मुद्दों पर बात ही नहीं कर रही है जो किसानों की इस बिल को लेकर परेशानी से जुड़े हुए हैं. ऐसे में हम किसानों के साथ साथ खड़े हैं और इसीलिए भारत बंद के किसानों के आह्वान के साथ अपनी आवाज जोड़ते हुए वकीलों ने भी कोर्ट में प्रदर्शन किया है.
कड़कड़डूमा कोर्ट में भी वकीलों ने किसानों के साथ भारत बंद को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते हुए प्रदर्शन किया. वकील सत्य प्रकाश गौतम ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि अगर किसान ही नहीं रहेंगे तो आम लोगों का पूरे देश में पेट कौन भरेगा? किसान मेहनत करके हम सबका पेट पालता है तो ऐसी स्थिति में जब खुद उसकी आजीविका खतरे में हो तो वकीलों को उसके समर्थन में आना ही चाहिए.
लेकिन भारत बंद को समर्थन देने को लेकर वकील भी दो फाड़ में नजर आए. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भारत बंद का समर्थन नहीं किया. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्रा ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि किसानों को लेकर लाए गए इस बिल में कई खूबियां भी हैं जिनकी जानकारी वकीलों को किसानों और आम लोगों को देनी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि हमारा इस मामले में सिर्फ यही कहना था कि वकीलों को अपील करने के लिए एसडीएम के बजाय हाई कोर्ट और निचली अदालतों में भी अधिकार मिलना चाहिए. सरकार किसानों के साथ बातचीत में इस पर विचार भी कर रही है. लेकिन भारत बंद में वकीलों के शामिल होने या उसे समर्थन देने का कोई औचित्य नहीं है.