
मकर संक्रांति के मौके पर शनिवार को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से लेकर वाराणसी के गंगा घाट तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. वहीं, तमिलनाडु के मदुरै में सांडों को काबू करने के खेल जल्लीकट्टू के दूसरे दिन भी भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए. इसके अलावा केरल स्थित सबरीमाला अयप्पा मंदिर में भी शुक्रवार को 'मकरविलक्कू' उत्सव देखने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु जुटे थे.
दरअसल, कोरोना की तीसरी लहर के बीच केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई तरह की पाबंदियां लगाईं गईं हैं. चुनाव वाले 5 राज्यों में रैलियों और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक है तो वहीं कई राज्यों में कोरोना के खतरे को देख नाइट कर्फ्यू लगाया गया है. सरकार और प्रशासन की कोशिश है कि लोगों को भीड़ के रूप में एक जगह जमा न होने दिया जाए, जिससे कि कोरोना का कम्यूनिटी स्प्रेड न हो. लेकिन इन ऐहतियातों को दरकिनार करते हुए लोग हजारों की संख्या में एक जगह जुटे दिखे और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाईं.
मकर संक्रांति पर गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में जुटे श्रद्धालु
मकर संक्रांति के मौके पर गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे. यहां श्रद्धालुओं ने गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाई और पूजा-अर्चना की. इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर के बाहर और अंदर मौजूद रही. कोरोना के नियमों का भी पालन नहीं किया गया. कुछ लोगों के मुंह पर मास्क को दिखा लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का बिलकुल कहीं भी पालन नहीं किया गया. कुछ लोगों ने बताया कि वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो करना चाहते थे लेकिन भीड़ ज्यादा होने की वजह से ऐसा नहीं हो सका. गोरखनाथ मंदिर में शुक्रवार की शाम और शनिवार की सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.
वाराणसी में शनिवार सुबह आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालु
मकर संक्रांति के मौके पर शनिवार सुबह वाराणसी में गंगा घाटों के किनारे भी श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी. तड़के सुबह से पहुंचे लोगों ने यहां आस्था की डुबकी लगाई और मंदिर में पूजा अर्चना की. गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए वाराणसी समेत यूपी के अलग-अलग जिलों समेत पड़ोसी राज्यों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे थे. श्रद्धालुओं के वाराणसी घाट पर पहुंचने के बाद भीड़ बढ़ गई जिससे कोरोना के सोशल डिस्टेंसिंग नियम का पालन नहीं हो सका. बता दें कि मकर संक्रांति के मौके पर गंगा नदी में डुबकी लगाने की परंपरा रही है.
तमिलनाडु के मदुरै में जल्लीकट्टू के दूसरे दिन भी जुटी श्रद्धालुओं की भीड़
उधर, तमिलनाडु के मदुरै में जल्लीकट्टू के दूसरे दिन शनिवार को भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी. जल्लीकट्टू मट्टू पोंगल का हिस्सा है, जिसे पोंगल के तीसरे दिन खेला जाता है. तमिल में मट्टू का मतलब बैल या सांड से है. पोंगल के तीसरे दिन मवेशियों की पूजा होती है. इसी विधान के तहत जल्लीकट्टू में सांडों का खेल आयोजित किया जाता है.
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू 2500 साल पहले से मनाया जाता है. इस खेल में सांडों के सींघों में सिक्के या नोट फंसाकर रखे जाते हैं. फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है. फिर खेलने वाले लोग उन सांडों को काबू में करते हैं. सांडों को भड़काने के लिए उन्हें शराब पिलाने से लेकर उनकी आंखों में मिर्च भी डाली जाती है. इतना ही नहीं उनकी पूंछ को मरोड़ा जाता है, ताकि वो वो तेज भाग सकें.
केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में 'मकरविलक्कू' देखने जुटे लोग
वहीं, केरल के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में शुक्रवार को 'मकरविलक्कू' उत्सव देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे. दरअसल, भगवान अय्यप्पा की वार्षिक तीर्थयात्रा के तहत मकरविलक्कू उत्सव का बड़ा महत्व होता है. मकरविलक्कू उत्सव 14 जनवरी को आयोजित किया जाता है.