
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीएजी शशिकांत शर्मा को चिट्ठी लिखी है. उसमें सीधे-सीधे सीएजी के ऑडिट को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. इसमें दिल्ली सरकार के साथ भेदभाव करने का आरोप है. ये भी कहा गया है कि ऑडिट,सियासी एजेंडे से प्रभावित है. सीएजी के ऑडिट को सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी तक करार दिया है और ये भी कहा है कि एक संवैधानिक संस्था का दूसरे संवैधानिक संस्था के कामकाज मे दखल करना अच्छे नतीजे नहीं देगा.
1. 8 पेज की है चिट्ठी
2. 9 बिंदुओं की चिट्ठी में सरकार के विज्ञापन पर सीएजी की ऑडिट पर सवाल उठाए गए हैं.
3. सवाल में एक ये भी पूछा है कि सिर्फ दिल्ली सरकार के विज्ञापन खर्च का ब्यौरा मांगने का क्या आधार है, क्यों दूसरे राज्यों और केंद्र सरकार को ऐसे ऑडिट से अलग रखा गया है.
4. ऑडिट का ये नियम होता है कि जो सवाल पूछे जाते हैं उन्हें सब्जेक्टिव नहीं होना चाहिए, लेकिन जो सवाल पूछे गए उनमें सब्जेकिटिविटी दिखती है इसलिए ये अविवेवकपूर्ण और गैर तर्क संगत दिखता है.
5. सीएजी जैसी संवैधानिक संस्थाओं को खुद को सियासी एजेंडों से प्रभावित नहीं होना चाहिए और साथ ही सियासी शोरगुल पर ध्यान नहीं देना चाहिए.
6. ऑडिट वित्तीय गड़बड़ियों और पॉलिसी संबंधित उल्लंघनों की जांच के लिए होता है, लेकिन सीएजी ने इस मामले में कथित गड़बड़ियों पर आपत्ति दर्ज कराया है.
7. जिन गड़बड़ियों का जिक्र सीएजी ने गाइडलाइन उल्लंघन के मामलों में किया है, वो सीएजी के दायरे में आती ही नहीं हैं.
8. अपनी चिट्ठी में सिसोदिया ने केंद्र सरकार के उन विज्ञापनों का भी जिक्र किया है जिसमें प्रधानमंत्री की तस्वीर और नाम का जिक्र होता है, साथ ही तेलंगाना सरकार के विज्ञापनों का भी जिक्र है जो बाकी राज्यों में भी छपे हैं.
9. इसके अलावा सीएजी ऑडिट में उठाए गए कई और बिंदु भी सवालों के घेरे में हैं और एक अधिकृत सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी है. सीएजी का काम सिर्फ ऑडिट करना है, किसी के कामकाज पर टिप्णी करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
10. चुनी हुई सरकार और सीएजी दोनों संवैधानिक संस्थाएं हैं, इसलिए अगर संस्थाएं एक दूसरे के दायरे में आकर काम करेंगी तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे.