
जनता के फंड को अपने निजी केस लड़ने के लिए खर्च करने के आरोप में घिरी आम आदमी पार्टी पूरे मामले पर सफाई देने सामने आई. बीजेपी द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "यह मसला क्रिकेट के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. बीजेपी ईवीएम स्कैम से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे पैतरे अपना रही है. सरकार ने इस पूरे मामले पर जांच बिठाई थी जिसमें कई बड़े लोग फंस रहे थे. जिन्होंने बाद में मुकदमा किया. चूंकि जांच सरकार ने बिठाई थी इसलिए मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमे का बिल सरकार देगी क्योंकि यह अरविंद केजरीवाल का कोई निजी मुकदमा नहीं था".
मनीष सिसोदिया ने कहा कि क्रिकेट में भ्रष्टाचार रोकना सरकार की जिम्मेदारी थी. सरकार ने कदम उठाए. अब सरकार के द्वारा क्रिकेट में कराई जा रही जांच में लगे वकील की फीस अरविंद केजरीवाल व्यक्तिगत रूप से क्यों देंगे? वह उनका निजी केस नहीं था. उस मुकदमे को तो अब सरकार लड़ेगी.
ईवीएम स्कैम से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश
आम आदमी पार्टी ने जनता फंड दुरुपयोग के आरोपों को ईवीएम स्कैम से ध्यान भटकाने की कोशिश कहा है. मनीष सिसोदिया ने इन आरोपों के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी टाइमिंग देखी जाए. जेठमलानी जी डेढ़ साल से यह मुकदमा लड़ रहे हैं लेकिन डेढ़ साल से यह बात नहीं हुई. आज यह बात हो रही है क्योंकि ईवीएम का घोटाला सामने आने के बाद इनके पास कोई जवाब नहीं है और सारा का सारा मुद्दा इन्होंने पलटने की कोशिश की है. वे बीजेपी पर ईवीएम के साथ टेम्परिंग करके जीतने की बात कहते हैं. वे अब मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए डेढ़ साल पुराना मुकदमा लेकर आए हैं.
वकील राम जेठमलानी ने दी सफाई
इससे पहले अरविंद केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने सफाई में कहा कि अगर सरकार केस लड़ने के लिए उनका मेहनताना नहीं दे पाती है तो वे अरविंद केजरीवाल का केस मुफ्त भी लड़ सकते हैं. दरअसल डीडीएस, डीडीसीए मामले पर अरविंद केजरीवाल द्वारा कथित तौर पर केंद्रीय वित्त केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर लगाए गए आरोपों के बाद जेटली ने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के चार दूसरे नेताओं पर दिल्ली के पटियाला कोर्ट और हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
इस पूरे मामले में अरविंद केजरीवाल की ओर से मशहूर वकील राम जेठमलानी पेश हो रहे थे और बतौर मेहनताना उन्होंने लगभग चार करोड़ का बिल दिल्ली सरकार को भेजा था. जिसकी मंजूरी पत्र पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दस्तखत थे. दिल्ली के उपराज्यपाल ने इस बिल को लेकर कानूनी सलाह लेने की बात कही है जिसके बाद यह पूरा मामला सामने आया. दिल्ली नगर निगम चुनाव के पहले यह मामला अब राजनीतिक रूप लेता जा रहा है. हालांकि पत्रकारों द्वारा सवाल पूछे जाने पर वे जवाब देने के बजाय पलटकर चलते बने. इस बीच एक और चिट्ठी भी देखने में आई है कि इस फाइल को स्वीकृति के लिए उपराज्यपाल के पास न भेजा जाए.