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केजरीवाल ने लोकतंत्र को शर्मसार किया है: मनोज तिवारी

मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए उपलब्ध बेडों की संख्या में कमी पर आर.टी.आई. से मिली जानकारी और खुद सरकार द्वारा निजी अस्पतालों से इलाज करवाने की बात दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में असफल रही है.

मनोज तिवारी मनोज तिवारी
मणिदीप शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:05 PM IST

दिल्ली की 3 राज्यसभा सीटों का बवाल थमने का नाम लेता नहीं दिख रहा है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने 'आप' पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकन को लेकर पैदा हुआ जो विवाद दिल्ली में देखने को मिला है उसने दिल्ली की जनता को कुपित किया है और दिल्ली की जनता जानना चाहती है कि इस विवाद के पीछे क्या है, आखिर क्यों ये पैसों के सवाल उठ रहे हैं?

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मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए उपलब्ध बेडों की संख्या में कमी पर आर.टी.आई. से मिली जानकारी और खुद सरकार द्वारा निजी अस्पतालों से इलाज करवाने की बात दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में असफल रही है और अब राज्यसभा में भी एक निजी अस्पताल के कर्ताधर्ता को नामांकित किए जाने से सरकार सवालों के कटघरे के बीच है.

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि केजरीवाल सरकार के रहते दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है और स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कुछ साल पूर्व तक दिल्ली के सर्वोच्च रेफरल अस्पताल के रूप में देखे जाने वाले जी.बी. पंत अस्पताल में भी मरीजों के लिए उपलब्ध बेड की संख्या तेजी से गिर रही है.

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आर.टी.आई. से मिल रही जानकारी के अनुसार जी.बी. पंत अस्पताल में स्वीकृत 758 बेडों के स्थान पर केवल 735 बेड ही आज मरीजों को उपलब्ध हैं तो जनकपुरी स्थित सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में 250 बेडों के स्थान पर केवल 100 बेड ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं. लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल प्रबंधन ने तो बेडों की उपलब्धता के बारे में जानकारी होने से ही इंकार कर दिया.

उन्होंने कहा कि दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध सरकारी अस्पताल जी.बी. पंत में मरीजों के लिए उपलब्ध बेडों की संख्या में कमी पर आर.टी.आई. से मिली जानकारी और खुद सरकार द्वारा निजी अस्पतालों से इलाज करवाने की बात दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में असफल रही है. सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करने के केजरीवाल सरकार के संकल्प पर न सिर्फ निजी अस्पतालों में इलाज के प्रस्ताव से शंका उत्पन्न हुई है बल्कि अब राज्यसभा के लिए भी एक निजी अस्पताल के कर्ताधर्ता को नामांकित किये जाने से सरकार सवालों के कटघरे के बीच है.

हमें किसी अस्पताल के प्रबंधक के नामांकन पर कोई आपत्ति नहीं है पर हमें सरकारी अस्पतालों के स्तर में गिरावट एवं सरकार द्वारा निजी अस्पताल में फ्री इलाज के पक्ष में बयान, इन पर चिंता है और जब हम इसे एक निजी अस्पताल के प्रबंधक के नामांकन से जोड़कर देखते हैं तो संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है.

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