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मनोज तिवारी की मांग- पेट्रोल पर वैट घटाए केजरीवाल सरकार

बीजेपी नेता तिवारी का ये भी कहना है कि डीजल-पेट्रोल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने अपने टैक्स में ढाई रुपये की कटौती की है उसी तरह से सीएम केजरीवाल दिल्ली की जनता को राहत दें.

मनोज तिवारी मनोज तिवारी
सुशांत मेहरा
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ती पेट्रोल की कीमतों को लेकर के जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी विपक्षी दल बीजेपी पर निशाना साधती नजर आ रही थी तो वहीं बीजेपी केजरीवाल सरकार से पेट्रोल वैट घटाने की मांग कर रही है. पेट्रोल पर लगने वाले वैट और एक्साइज ड्यूटी को लेकर के दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल पर बड़ा हमला बोला है.

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मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होता है तब दिल्ली के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोलते हैं. लेकिन दिल्ली की सत्ता में बैठे मुख्यमंत्री शायद ये भूल गए हैं कि पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट दिल्ली सरकार वसूलती है.

बीजेपी नेता तिवारी का ये भी कहना है कि डीजल-पेट्रोल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने अपने टैक्स में ढाई रुपये की कटौती की है उसी तरह से सीएम केजरीवाल दिल्ली की जनता को राहत दें. तिवारी का आरोप हैं कि पिछले 2 साल में 15 प्रतिशत से वैट 27 प्रतिशत वैट कर दिया, जिसका भार दिल्ली की जनता पर पड़ रहा है.

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तिवारी ने कहा कि केजरीवाल एमसीडी चुनाव में हार का बदला ले रहे हैं और उन्हें दिल्ली में तेल का दाम प्रति लीटर कम से कम 5 रुपये कम करने चाहिए. इसके साथ ही दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि पिछले 25 दिन से सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर के हड़ताल पर हैं लेकिन दिल्ली सरकार को जो फंड केंद्र सरकार से मिलता है वो फंड भी दिल्ली सरकार निगम को भेजने की बजाय बहाने कर रही है.

मनोज तिवारी का कहना है कि हड़ताल का खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है. तिवारी ने केंद्र की ओर से जारी फंड की जानकारी देते हुए कहा कि कर्मचारियों को अभी तक चौथे वित्त आयोग की बकाया राशि 10,228 करोड़ रुपये नहीं मिली है. इसी के साथ ही अदालत के आदेश के अनुसार 2017 और 2018 के लिए 1904 करोड़ रुपये भी सरकार ने नहीं दिए, जिसके कारण कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं.

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