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मैरिटल रेप का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच के विभाजित फैसले को दी गई चुनौती

दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 मई को मैरिटल रेप मामले में सुनवाई की थी. याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 375(दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनौती दी थी. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट के जज इस मुद्दे पर एकमत नहीं थे. इसलिए कोर्ट ने इस मामले को 3 जजों की बेंच में भेजने का फैसला किया था.

फाइल फोटो (इंडिया टुडे) फाइल फोटो (इंडिया टुडे)
संजय शर्मा
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  • 17 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST
  • खुशबू सैफी ने SC में दायर की याचिका
  • दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच के विभाजित फैसले को दी चुनौती

मैरिटल रेप का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता रही खुशबू सैफी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने इस याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच के विभाजित फैसले को चुनौती दी है. दरअसल, 11 मई को दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मैरिटल रेप अपराध है या नहीं.

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दरअसल, भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग चल रही है. याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 375(दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद माने जाने को लेकर संवैधानिक तौर पर चुनौती दी थी. पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट के जज इस मुद्दे पर एकमत नहीं थे. इसलिए कोर्ट ने इस मामले को 3 जजों की बेंच में भेजने का फैसला किया था. 

दरअसल, बेंच में एक जज राजीव शकधर ने वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया था. वहीं, जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि आईपीसी के तहत अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है. 

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केरल हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध मानने से किया इनकार

पिछले साल अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था, 'भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है.' हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार कर दिया. 

क्या है मैरिटल रेप?

मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं है. अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है लेकिन इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. 2017 में मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था, 'मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी.' ये तर्क भी दिया गया कि ये पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है.

(Input- kanu Sharda)


 

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