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मेयर चुनाव: पीठासीन अधिकारी को लेकर फिर होगी LG-दिल्ली सरकार में तनातनी? क्या कहता है कानून

दिल्ली में मेयर पद का चुनाव एक बार फिर करीब आ गया है. ऐसे में पीठासीन अधिकारी का नाम मनोनीत किए जाने की कवायद शुरू हो गई है. AAP की तरफ से एक बार फिर पार्षद मुकेश गोयल का नाम आगे बढ़ाया गया है. मुकेश के नाम की फाइल शहरी विकास विभाग ने उपराज्यपाल कार्यालय भेज दी है. वहां से मंजूरी मिलने का इंतजार है. हालांकि, इसकी संभावना कम जताई जा रही है.

AAP सरकार ने पीठासीन अधिकारी के चयन को लेकर उपराज्यपाल के पास फाइल भेजी है. (फाइल फोटो) AAP सरकार ने पीठासीन अधिकारी के चयन को लेकर उपराज्यपाल के पास फाइल भेजी है. (फाइल फोटो)
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

दिल्ली नगर निगम के दूसरे साल के मेयर का चुनाव 26 अप्रैल को है, उससे पहले मेयर चुनाव की अध्यक्षता करने वाले पीठासीन अधिकारी का नाम तय करने की कवायद शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस पार्षद मुकेश गोयल का नाम आगे बढ़ाया है, इससे पहले जनवरी में भी मेयर चुनाव के वक्त AAP ने मुकेश का नाम आगे बढ़ाया था. हालांकि, उनके नाम पर उपराज्यपाल की मुहर नहीं लग सकी थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार एलजी AAP की सिफारिश मानेंगें या फिर चुनाव से पहले एलजी और दिल्ली सरकार में इस मुद्दे पर ठनेगी? 

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दिलचस्प हो जाता है कि स्वायत्तशासी नगर निगम जिस दिल्ली नगर निगम एक्ट से चलता है उसमें पीठासीन अधिकारी को तय किये जाने को लेकर क्या प्रावधान है. अब दूसरे साल के लिए 26 अप्रैल को महापौर का चुनाव होना है और पीठासीन अधिकारी के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. दिल्ली नगर निगम ने शहरी विकास विभाग को यह फाइल भेज दी है, उसके बाद यह फाइल एलजी ऑफिस में जाएगी.

एक्ट में उपराज्यपाल को दिया गया है अधिकार

हैरान करने वाली बात यह है कि आम आदमी पार्टी इस बात पर अड़ी है कि पीठासीन अधिकारी सीनियर मोस्ट होना चाहिए, यह दिल्ली नगर निगम एक्ट में कहीं भी उल्लिखित नहीं है. एक रिटायर्ड लॉ ऑफिसर ने साफ तौर पर बताया कि ऐसा करना महज एक प्रैक्टिस को मानना है, जबकि दिल्ली नगर निगम के एक्ट 77ए के तहत दिल्ली के महापौर- उपमहापौर के लिए पीठासीन अधिकारी चुनने का अधिकार दिल्ली के एलजी का है. वह किसी भी पार्षद को अपने विवेक के आधार पर पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं. हालांकि वह चुनाव का प्रत्याशी नहीं होना चाहिए. 

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दिल्ली नगर निगम एक्ट भी साइलेंट है 

निगम के पूर्व लॉ ऑफिसर और एक्सपर्ट का कहना है कि दिल्ली नगर निगम एक्ट 2022 के सेक्शन 77 के मुताबिक, निगम प्रशासक यानि उपराज्यपाल महापौर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करेंगे. किसी अनुभवी पार्षद को ही पीठासीन अधिकारी बनाया जाना चाहिए, इस पर एक्ट पूरी तरह से साइलेंट है. हां, ये परम्परा जरूर है कि वरिष्ठ पार्षदों में से एक को उपराज्यपाल की तरफ से नियुक्त किया जाता रहा है.

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पहली साल सरकार के भेजे ये नाम एलजी ने इसलिए पलटे

साल 2021 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव में निवर्तमान महापौर जयप्रकाश को पीठासीन अधिकारी नहीं बनाया गया था, तब एलजी ने कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल को पीठासीन अधिकारी बनाया था. पिछली बार शहरी विकास विभाग ने 6 पार्षदों के नाम भेजे थे, इनमें आप पार्षद मुकेश गोयल, प्रीति, हेमचंद गोयल, निर्दलीय शकीला बेगम के साथ ही भाजपा पार्षद सत्या शर्मा और नीमा भगत का नाम शामिल था. एलजी ने मुकेश गोयल और प्रीति के नाम मुकदमे दर्ज होने की वजह से चयन नहीं करने की बात कही थी. जबकि शकीला को पांचवीं और हेमचंद्र को दसवीं पास होने की वजह से नहीं चुना था.

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बीजेपी के ये सीनियर पार्षद रेस में 

नीमा भगत और सत्या शर्मा पूर्व महापौर हैं. साथ ही ग्रेजुएट भी हैं, इसलिए तब सत्या शर्मा का नाम चुना गया था. यही वजह है कि फिर से सत्या शर्मा का पलड़ा भारी पड़ सकता है. हालांकि विवाद से बचने के लिए नीमा भगत का नाम तय किया जा सकता है. दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने बतौर पीठासीन अधिकारी छह बार आदर्श नगर इलाके के पार्षद रहने वाले मुकेश गोयल का नाम आगे बढ़ाया है. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर का कहना है कि यदि कोई कानूनी बाध्यता होती तो क्या आम आदमी पार्टी पिछली बार मान जाती और सत्या शर्मा को बतौर पीठासीन अधिकारी स्वीकार कर लेती. एक्ट में कहीं नहीं लिखा कि उपराज्यपाल पर मुख्यमंत्री का सुझाव मानने की बाध्यता है. 

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'आपत्ति है तो राष्ट्रपति को फाइल भेजें एलजी'

मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी बनाने के लिए केजरीवाल ने मुकेश गोयल के नाम को मंजूरी दी है. ये फाइल LG ऑफिस भेज दी गई है. साथ ही सख्त लहजे में कहा गया है कि अगर मुकेश गोयल के नाम पर आपत्ति जताई जाती है तो LG को यह फाइल राष्ट्रपति को भेजनी होगी.

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MCD चुनाव में AAP को मिला है बहुमत

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने LG से 6 फरवरी की तारीख तय करने की सिफारिश की थी. अब सोमवार को मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए पार्षद मतदान करेंगे. इससे पहले MCD के 250 वार्डों में काउंसलर के लिए 4 दिसंबर को मतदान हुआ था. 7 दिसंबर को नतीजे आए और AAP ने 134 सीटें जीतीं और MCD में बीजेपी के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था. BJP को 104 सीटों पर जीत मिली थी.

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बीजेपी और AAP में फिर मुकाबला

बता दें कि बीते 22 फरवरी को मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी की मेयर पद की प्रत्याशी रेखा गुप्ता को हराया था. एक बार फिर AAP की मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय का मुकाबला बीजेपी नेता और बैरिस्टर शिखा राय से होने जा रहा है. बीजेपी ने फिर मेयर और डिप्टी मेयर के प्रत्याशी को उतारकर आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव और टेढ़ा कर दिया है. 

MCD में एक साल के लिए होता है मेयर का पद

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दरअसल, एमसीडी के सदन का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन मेयर का कार्यकाल एक साल के लिए होता है. एमसीडी एक्ट के तहत पहले साल महिला पार्षद को मेयर चुने जाने का प्रावधान है, जबकि डिप्टी मेयर के मामले में कोई नियम नहीं है. इसके बाद दूसरे साल मेयर का पद सामान्य होता है, जिसमें कोई भी पार्षद चुना जा सकता है, लेकिन तीसरे साल मेयर पद दलित समुदाय के लिए रिजर्व होता है. ऐसे में दलित समाज से आने वाला कोई भी पार्षद मेयर चुना जा सकता है, लेकिन चौथे और पांचवें साल मेयर का पद अनारक्षित होता है. एमसीडी की सबसे अधिकार वाली स्थायी समिति के अध्यक्ष पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है. इस तरह दिल्ली को इस साल एक महिला मेयर मिलेगी.

 

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