
राजधानी में सीवर में सफाईकर्मियों की मौत के लगातार बढ़ते मामलों में हाइकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए तीनों एमसीडी कमिश्नर, दिल्ली जल बोर्ड सीईओ, एनडीएमसी चेयरमैन, डीआरएम नॉर्दर्न रेलवे को खुद पेश होने को कहा है. हाइकोर्ट ने कहा कि एजेंसी बताये कि मौत का जिम्मेदार कौन है. हाइकोर्ट ने सिविक एजेंसियों को जमकर फटकार लगाते हुए अगली सुनवाई 18 सिंतबर के लिए रख ही है, जिसमें सभी पार्टियों को ये साफ करना होगा कि इस तरह की चीज़ों को रोकने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया है.
पिछले 35 दिन में 4 हादसों में 10 सीवर सफाईकर्मियों की मौत दिल्ली मे हुई है और दो गंभीर हालत में अस्पताल मे जिंदगी और मौत के बीच की लड़ाई लड़ रहे हैं. हाइकोर्ट ने एजेंसियों से कहा कि वे स्पष्ट तौर पर बताएं कि मौत के लिये कौन इंजीनियर या इंस्पेक्टर जिम्मेदार है. मामले की निगरानी के लिए कोर्ट के जरिये नियुक्त किये गए वकील ने कहा कि इंस्पेक्टर या सुपरवाइजर नियुक्त करने पर इस तरह के हादसे रुक सकते हैं.
हाइकोर्ट ने एजेंसियों को अगली सुनवाई पर अपने जवाब में बताने को कहा है कि उनके यहां कितने सफाई कर्मचारी हैं, इनमें से कितने सीवर सफाई करने वाले कर्मचारी हैं, इनके लिए सुरक्षा के क्या मानक हैं, मानकों में से इन्हें क्या दिया जाता है? कोर्ट ने कहा कि ये कर्मचारी जानलेवा हालातों में काम करते हैं. हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एजेंसियां से पूछा है कि सीवर सफाई करने वाले कर्मचारियों के लिए बनें मैन्युअल स्कैनवेनजर्स एंड रिहैबिलिटेशन एक्ट 2013 का पालन हो रहा है या नहीं.
मृतकों के परिजनों को कम से कम 10 लाख मुआवजा देने, मैजिस्ट्रेट जांच करने जैसे नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, ये भी हाइकोर्ट ने तमाम एजेंसियों से सुनिश्चित करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस के एफआइआर दर्ज करने, मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने से आगे बढ़कर कुछ करने की जरूरत है.