Advertisement

जानिए कौन चाहता है MCD को प्राइवेट हाथों में सौंपना

प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया है कि मास्टर प्लानों का हर बार देरी से बनना इस बात का सबूत है कि अधिकारीयों ने दिल्ली के विकास की योजनायों और उनके क्रियान्वयन में बेहद लापरवाही बरतते हुए उदासीन रूख अपनाया और कभी गंभीरता नहीं दिखाई.

दिल्ली में सीलिंग के खिलाफ व्यापारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली में सीलिंग के खिलाफ व्यापारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
नंदलाल शर्मा/रवीश पाल सिंह/मणिदीप शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 19 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 3:35 AM IST

दिल्ली के व्यापारी संगठनों ने एमसीडी और डीडीए के निजीकरण की मांग की है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रविवार को कहा कि डीडीए और एमसीडी बीते 60 सालों और तीन मास्टरप्लान बीत जाने के बाद भी दिल्ली के विकास में असफल रहे हैं. कैट ने केंद्र से मांग की कि इन दोनों निकायों का निजीकरण करके इनको निजी प्रोफेशनल कंपनियों को सौंप दिया जाए जो समयबद्ध सीमा में दिल्ली के विकास की योजनाएं बना कर उन्हें अमलीजामा पहना सकें!

Advertisement

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि जहां डीडीए एक तरफ विकास की समुचित योजनाएं बनाने में असफल रहा है. वहीं दूसरी ओर एमसीडी उसके क्रियान्वयन में नाकामयाब साबित हुई है. अपने सुझाव में कैट ने कहा है कि एमसीडी के निर्वाचित विंग, जिसमें पार्षद होते है, उसको जस का तस रखा जाए. लेकिन अधिकारी विंग का निजीकरण किया जाए और दूसरी ओर डीडीए का पूरे तौर पर निजीकरण हो.

खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली का पहला मास्टर प्लान 1962 में घोषित हुआ और उसके अनेक प्रावधानों पर कोई काम तक नहीं हुआ. वहीं दूसरा मास्टर प्लान जो साल 1980 में आना था, वो दस साल बाद 1990 में आया और उसकी भी अनेक योजनाएं धरी की धरी रह गई, जबकि इसी कड़ी में तीसरा मास्टर प्लान जो साल 2001 में आना था वो 2007 में आया और उसका भी हाल पहले जैसे दो मास्टर प्लानों का ही हुआ और उसे ठीक तरह से लागू करा पाने में एमसीडी फिर नाकाम रही.

Advertisement

प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया है कि मास्टर प्लानों का हर बार देरी से बनना इस बात का सबूत है कि अधिकारीयों ने दिल्ली के विकास की योजनायों और उनके क्रियान्वयन में बेहद लापरवाही बरतते हुए उदासीन रूख अपनाया और कभी गंभीरता नहीं दिखाई. उनकी इस लापरवाही के लिए हर बार व्यापारियों को दोषी ठहराया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.

खंडेलवाल के मुताबिक बीते 40 सालों में सरकारें दिल्ली के केवल 16 फीसदी हिस्से को व्यापारिक बना पाई हैं जबकि बाकी के करीब 84 फीसदी हिस्से को व्यापारियों ने अपने आप ही बनाया है. ऐसे में दिल्ली का ढांचा बेहद ही पेचीदा हो गया है.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानि कैट ने कहा है कि जल्द ही व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात कर अपने सुझाव उन्हें सौंपेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement