
दिल्ली के व्यापारी संगठनों ने एमसीडी और डीडीए के निजीकरण की मांग की है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रविवार को कहा कि डीडीए और एमसीडी बीते 60 सालों और तीन मास्टरप्लान बीत जाने के बाद भी दिल्ली के विकास में असफल रहे हैं. कैट ने केंद्र से मांग की कि इन दोनों निकायों का निजीकरण करके इनको निजी प्रोफेशनल कंपनियों को सौंप दिया जाए जो समयबद्ध सीमा में दिल्ली के विकास की योजनाएं बना कर उन्हें अमलीजामा पहना सकें!
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि जहां डीडीए एक तरफ विकास की समुचित योजनाएं बनाने में असफल रहा है. वहीं दूसरी ओर एमसीडी उसके क्रियान्वयन में नाकामयाब साबित हुई है. अपने सुझाव में कैट ने कहा है कि एमसीडी के निर्वाचित विंग, जिसमें पार्षद होते है, उसको जस का तस रखा जाए. लेकिन अधिकारी विंग का निजीकरण किया जाए और दूसरी ओर डीडीए का पूरे तौर पर निजीकरण हो.
खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली का पहला मास्टर प्लान 1962 में घोषित हुआ और उसके अनेक प्रावधानों पर कोई काम तक नहीं हुआ. वहीं दूसरा मास्टर प्लान जो साल 1980 में आना था, वो दस साल बाद 1990 में आया और उसकी भी अनेक योजनाएं धरी की धरी रह गई, जबकि इसी कड़ी में तीसरा मास्टर प्लान जो साल 2001 में आना था वो 2007 में आया और उसका भी हाल पहले जैसे दो मास्टर प्लानों का ही हुआ और उसे ठीक तरह से लागू करा पाने में एमसीडी फिर नाकाम रही.
प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया है कि मास्टर प्लानों का हर बार देरी से बनना इस बात का सबूत है कि अधिकारीयों ने दिल्ली के विकास की योजनायों और उनके क्रियान्वयन में बेहद लापरवाही बरतते हुए उदासीन रूख अपनाया और कभी गंभीरता नहीं दिखाई. उनकी इस लापरवाही के लिए हर बार व्यापारियों को दोषी ठहराया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.
खंडेलवाल के मुताबिक बीते 40 सालों में सरकारें दिल्ली के केवल 16 फीसदी हिस्से को व्यापारिक बना पाई हैं जबकि बाकी के करीब 84 फीसदी हिस्से को व्यापारियों ने अपने आप ही बनाया है. ऐसे में दिल्ली का ढांचा बेहद ही पेचीदा हो गया है.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानि कैट ने कहा है कि जल्द ही व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात कर अपने सुझाव उन्हें सौंपेगा.