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घटते गए करदाता, खस्ताहाल होती MCD, अब मेयर के चुनाव में बड़े-बड़े वादे

दिल्ली में MCD चुनाव के लिए सभी दल वोटर लुभाने में जुटे हैं. ऐसे में सभी ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए हैं. बीजेपी ने बड़े तबके को खुश करने के लिए कमर्शियल प्रापर्टी के मालिकों को 15 प्रतिशत छूट देनी की बात कही है. तो कांग्रेस ने दिल्ली में हाउस टैक्स को माफ करने की बात कही है. इसके अलावा AAP ने व्यापारियों के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया आसान करने का दावा किया है.

MCD चुनावों के लिए सभी दलों ने किए बड़े-बड़े वादे MCD चुनावों के लिए सभी दलों ने किए बड़े-बड़े वादे
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में MCD चुनाव के लिए बीजेपी ने बड़े तबके को खुश करने के लिए कमर्शियल प्रापर्टी के मालिकों को 15 प्रतिशत छूट देनी की बात कही है. इन चुनावों में एक कदम आगे जाते हुए कांग्रेस ने दिल्ली की 25 लाख संपत्तियों के मालिकों को मिनिमम टैक्स प्रणाली लागू कर सीधी राहत देने का वादा किया. कांग्रेस ने हाउस टैक्स 'पिछला माफ, अगला हाफ' और गांव में पूर्ण माफ की नीति लागू करने की बात की. साथ ही दिल्ली के गांवों को सम्पति कर के दायरे से बाहर लाने की भी बात कही गई, जिसे कि शीला दीक्षित सरकार के समय कांग्रेस की निगम सरकार ने 2002-2007 के दौरान लागू किया था. वहीं आम आदमी पार्टी ने व्यापारियों के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया आसान करने और अलग-अलग फीस खत्म करने, सील दुकानें खोलने का दावा किया है.

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खस्ताहाल एमसीडी को कितना उबारेंगे ये चुनावी वादे  

निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगाई ने बताया कि सिर्फ कांग्रेस ने हाउस टैक्स के माफ करने की बात कही है. अभी तक की लड़ाई में वह ग्राउंड पर भी नहीं है. बीजेपी और कांग्रेस ने पेनल्टी माफ करने की बात कही है. अभी तक हाउस टैक्स सिर्फ 20 फीसदी ही वसूल किया जाता है. 80% जो वसूल नहीं हो रहा है, उसे लेने की योजना बनानी होगी, ताकि खस्ताहाल एमसीडी को उबारा जा सके.

बता दें कि दिल्ली में अभी हाउस टैक्स सिर्फ 20 फीसदी ही कलेक्ट हो रहा है और इससे करीब 2000 करोड़ रुपये आ रहे हैं. अगर यह हाउस टैक्स 100 फीसदी कलेक्ट होने लगे तो 10,000 करोड़ रुपये आ सकते हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों को माफी नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों को यह सोचना चाहिए कि किस तरह से ज्यादा से ज्यादा लोग हाउस टैक्स से जुड़ सकें. हालांकि प्रॉपर्टी टैक्स देने वालों में ज्यादातर हिस्सा कमर्शियल प्रॉपर्टी का होता है.

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दिल्ली में नगर निगम की आय का मुख्य स्रोत है संपत्ति कर. साल 2003 तक दिल्ली नगर निगम एनुअल रेंटल वैल्यू के आधार पर संपत्ति कर एकत्र करता था. तब 963,191 संपत्तियों पर टैक्स मिलता था. इस व्यवस्था को बदलकर निगम ने 1 अप्रैल, 2004 से यूनिट एरिया प्रणाली लागू कर दी, लेकिन अनुमानित 30 लाख संपत्तियों में से संपत्तियां बढ़ने के बावजूद करदाता घट गए. नई यूनिट एरिया प्रणाली निगम के 963,191 के साल 2003 के आंकड़े को साल 2010 तक भी नहीं छू पाई. यूनिट एरिया प्रणाली में संपत्ति का स्वामी खुद ही अपना कर निर्धारण करता है. 2003 तक गांव एवं अनाधिकृत कॉलोनियों में संपत्ति कर नहीं लिया जाता था. लेकिन सन 2004 में लागू यूनिट एरिया प्रणाली में गांव एवं अनाधिकृत कॉलोनियों में संपत्ति कर लागू हो गया. इसके तहत खेती के बाद प्रयोग में लाई जा रही भूमि, युद्ध में सैनिक की विधवा को कर नहीं देना होता है.  
 
पैसों में रोड़ा अटकाने को अब लगा विराम 
 
बताते चलें कि जब 1957 में दिल्ली महानगर परिषद थी और अब जब दिल्ली विधानसभा है. तब भी सेंटर का पैसा अलग मदों में स्टेट के जरिए ही देगा. एमसीडी अगर कोई फाइल सेंटर को भेजेगी तो वाया दिल्ली सरकार ही भेजेगी. सेंटर दिल्ली की एमसीडी को कोई पैसा नहीं देता. अभी तक विभिन्न मदों में स्कीम भेजने पर केंद्र पैसा देता है. 2014 से सेंटर ने निगम को सीधे पैसा दिया नहीं और ना ही निगम ने मांगा. ममगांई का कहना है कि इसी साल 22 मई को निगम का एकीकरण हुआ. लेकिन 6 महीने के अंदर केंद्र की तरफ से एमसीडी को लेकर किसी प्रकार का रिड्रेसल नहीं हुआ. एकीकरण के बाद उस बहस को विराम मिल गया, जिसमें बीजेपी दिल्ली सरकार पर रोड़े अटकाने का आरोप लगाती थी.

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10 दिसंबर तक आएगा एमसीडी का कमिश्नर बजट 

दरअसल मैनडेट कहता है कि 10 दिसंबर तक एमसीडी का बजट आना चाहिए. वर्क्स कमेटी, बागवानी और अलग-अलग कमेटियां अपना बजट कंपाइल करके स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजती हैं. कमेटी बजट प्रस्तावित करती है, हाउस डिस्कस करता है, लीडर ऑफ हाउस उसे अप्रूव करता है. यही प्रक्रिया एमसीडी बजट के लिए फॉलो होती है. यानी चुनाव के पहले उसके दौरान या फिर परिणाम आने के बाद अफसर बजट लाएंगे. दिल्ली नगर निगम हर साल 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का बजट तैयार करता है. 15 फरवरी तक विभिन्न मदों के अनुसार बजट का प्रारूप तैयार कर स्थाई समिति में चर्चा कराकर निगम सदन में चर्चा कराने के बाद पारित किया जाता है. अप्रैल से सितंबर तक 6 महीने में हुए आय-व्यय के आधार पर बाकी बचे 6 महीने के लिए संशोधित बजट और आगामी वित्त वर्ष के लिए निगम आयुक्त बजट अनुमान तैयार करता है. निगम की आय के मुख्य स्रोत संपत्ति कर, प्रॉपर्टी ट्रांसफर, विज्ञापन, रोड, रेस्टोरेशन भवन निर्माण, जुर्माना, पार्किंग, लाइसेंस, तहबाजारी कन्वर्जन चार्ज आदि हैं. बजट का वितरण प्लान हेड, नॉन प्लान हेड वह अतिरिक्त बजटीय संसाधनों के रूप में होता है. 

मेयर के चुनाव में फंसेगा पेंच  

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7 दिसंबर को मतगणना के बाद मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन डीएमसी एक्ट के तहत सदन का कर्यकाल 1 अप्रैल से ही शुरू होता है. तो क्या नया सदन 3 महीने के लिए ही रहेगा इस पर निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगांई का कहना है कि डीएमसी एक्ट में बदलाव करके करके अप्रैल से मार्च के अलावा जनवरी से दिसंबर या फिर दिसंबर से नवंबर तक बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि एक्ट के तहत पांच बार मेयर का चुनाव होना है.ॉ

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