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एमसीडी चुनाव: टिकटों के चक्कर में बीजेपी में भारी सिर-फुटव्वल के आसार

दिल्ली में एमसीडी चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के अंदर टिकटों के लिए मारामारी शुरू हो गई है. एमसीडी चुनाव में टिकट बांटने को लेकर सत्ताधारी बीजेपी का पिछला अनुभव कुछ अच्छा नहीं रहा था और इस बार वार्डों के परिसीमन ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
रोहित मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST

दिल्ली में एमसीडी चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के अंदर टिकटों के लिए मारामारी शुरू हो गई है. एमसीडी चुनाव में टिकट बांटने को लेकर सत्ताधारी बीजेपी का पिछला अनुभव कुछ अच्छा नहीं रहा था और इस बार वार्डों के परिसीमन ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.

पिछली बार के एमसीडी चुनाव में पार्टी ने बगाव त से बचने के लिए जहां नामांकन खत्म होने से महज एक दिन पहले टिकट बांटा था. हालांकि इसके बाद भी टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी नेताओं और उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया था. वहीं इस बार परिसीमन से पैदा हुई मुश्किलों के सवाल पर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता नाम ना बताने की शर्त पर कहते हैं, इस बार टिकट के लिए पिछली बारे से भी ज्यादा सिर फुटव्वल होगा.

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वह कहते हैं, इस बार टिकट देना आसान नहीं होगा, क्योंकि एक तरफ जहां बीजेपी एमसीडी पर 10 साल से काबिज है, जिस वजह एंटी इंकम्बेंसी का फैक्टर तो है ही. इसके अलावा परिसीमन के बाद एक वार्ड में कई नए इलाके जुड़ने से भी परेशानी बढ़ गई है.

वहीं इस बीच बीजेपी में टिकटों के लिए जुगाड़ का खेल भी शुरू हो गया है. परिसीमन से जिन नेताओं की कुर्सियों पर खतरा आया है, उन्होंने दुसरे इलाके से टिकट के लिए हाथपैर मारने भी शुरू कर दिए हैं. उन्होंने केंद्रीय नेताओं या सांसदों की पैरवी लगाकर टिकट के लिए दबाव बनाने में जुट गए हैं. वहीं कुछ नेता ऐसे भी है, जिनका वार्ड परिसीमन के बाद महिला कोटे में चली गई है, तो वे अब अपनी पत्नी या बहू को टिकट दिलाने के लिए पार्टी नेताओं के घर के चक्कर काट रहे हैं.

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वहीं पार्टी के लिए एक परेशानी यह भी है कि इस बार टिकट के दावेदारों में खासी बढ़ोतरी होती दिख रही है. ऐसे में पार्टी को चिंता है कि जिसे टिकट नहीं दिया, वह बगावत पर उतर पार्टी को ही नुकसान पहुंचाने में जुट सकता है.

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