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Delhi MCD Election 2022: एमसीडी एकीकरण के बाद 250 हो जाएगी वॉर्डों की संख्या, स्थगित हो सकते हैं चुनाव

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के तीनों निगम के एकीकरण को लेकर सियासी महकमों में चर्चा काफी गर्म है. एकीकरण लागू होने के बाद नए प्रावधानों के तहत किस समुदाय के लिए कितनी सीट आरक्षित रहेंगी? इस पर सबकी नजर रहेगी. 

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 4:50 AM IST
  • नए परिसीमन के कारण टाले जा सकते हैं चुनाव
  • अनुसूचित जाति व महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी सीटें

दिल्ली के तीनों नगर निकायों के एकीकरण के लिए केंद्र सरकार विधेयक पेश करने को तैयार है. इंडिया टुडे को प्रस्तावित एमसीडी एकीकरण विधेयक 2022 की संभावित कॉपी हाथ लगी है. सूत्रों के अनुसार, विधेयक के तहत एमसीडी में सीटों की संख्या को घटाकर 250 वॉर्डों तक सीमित किया जा सकता है. इसके अलावा वॉर्डों की सीमा और अनुसूचित जाति व महिलाओं के लिए सीटों आरक्षित को करने के लिए परिसीमन किया जाएगा यानी एमसीडी 2022 को टाला जा सकता है. दिल्ली में वर्तमान में 272 वार्ड हैं, इसमें 50 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित हैं.

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विशेष अधिकारी हो सकता है नियुक्त

सूत्रों के अनुसार, नए निगम के गठन होने तक विधेयक के तहत एमसीडी के कामकाज को देखने के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया जा सकता है.

यह होगा संशोधन विधेयक का नाम

सूत्रों के अनुसार दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी), उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) को एक करने वाले विधेयक का नाम दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 होगा. एकीकरण विधेयक पेश होने और संसद में पारित होने के बाद तीनों नगर निगमों का विलय हो जाएगा.

एमसीडी को ट्रांसफर हो जाएंगी संपत्तियां

विधेयक के पारित होने के बाद एसडीएमसी, ईडीएमसी और एनडीएमसी की सभी संपत्तियां, देनदारियां, कर्मचारी, राजस्व स्रोत एमसीडी को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे.

आबादी के आधार पर तय होंगी आरक्षित सीटें

सूत्रों के हवाले से इंडिया टुडे को पता चला कि अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या दिल्ली में अनुसूचित जाति की आबादी के अनुपात के आधार पर तय की जाएगी.

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बढ़ते वित्तीय संकट के कारण हो रहा एकीकरण

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में तीन नगर निगम होने के कारण उनमें वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा था. इन वित्तीय बाधाओं के कारण ही एमसीडी अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन और सेवानिवृत्ति के लाभों का भुगतान नहीं दे पा रहे थे. मालूम हो कि पिछले एक दशक से तीनों एमसीडी में वेतन के भुगतान में देरी और नागरिक निकाय के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के लाभ न मिल पाने के कारण ही लगातार हड़ताल हो रही थीं.

 

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