
4 साल पहले देश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की राजधानी दिल्ली में शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान का सपना राजधानी दिल्ली में ही फेल होता नजर आ रहा है. हालात यह हैं कि राजधानी दिल्ली का हर गली चौराहा अब कूड़े में तब्दील हो गया है. लोगों का गंदगी से बुरा हाल है और इस कूड़े में तब्दील होती राजधानी दिल्ली में लोगों की सुनने वाला कोई भी नहीं है.
शुरू किया कैंपेन
घर के बाहर गंदगी और कूड़े से परेशान होकर अब लोगों ने सरकार को और प्रशासन को नींद से जगाने के लिए सेल्फी विद गार्बेज कैंपेन शुरू किया है. यह कैंपेन सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और ट्विटर पर खूब वाहवाही लूट रहा है. इस कैंपेन को चलाने वाले आरडब्ल्यूए फेडरेशन के प्रेसिडेंट बीएस वोहरा ने कहा कि कूड़े के कारण पूरी दिल्ली नर्क में तब्दील होती जा रही है. ना तो दिल्ली सरकार और ना ही निगम में सत्ता में बैठी बीजेपी इस पर सुनवाई करने को राजी है इसके कारण लोगों का जीना मुहाल होता जा है.
पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर में रहने वाले जुगल वाधवा बताते हैं कि 4 साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत का सपना दिखाया था तब से उन्होंने कूड़े को कूड़ेदान में और कूड़ा उठाने वाले कर्मचारियों को देने का फैसला किया था. लेकिन स्वच्छता को लेकर ध्यान रखने वाले जुगल वाधवा को हर रोज घर से बाहर निकलते और घर में जाते वक्त अपनी गली मोहल्ले और पूरी कॉलोनी में हर तरफ कूड़ा नजर आता है.
हड़ताल को लेकर पॉलिसी बनाए सरकार
इस कूड़े और गंदगी के कारण वह अपने बच्चों को भी घर से बाहर निकलने नहीं देते. उनका मानना है कि स्वच्छ भारत अभियान का सपना तभी साकार हो सकता है जब सरकार इस पूरे अभियान के साथ- साथ एक पॉलिसी भी गठित करें ताकि जब कर्मचारी इस तरीके की हड़ताल करें तो दिल्ली कूड़े में तब्दील ना हो.
आपको बता दें कि दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी पिछले 21 दिन से अपनी मांगों को लेकर के हड़ताल पर हैं. हड़ताल का असर दिल्ली की सड़कों पर नजर आ रहा है. पूरी दिल्ली कूड़े में तब्दील हो गई है और गंदगी से लोग परेशान हैं, लेकिन सफाई कर्मचारियों का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक दिल्ली का कचरा साफ नहीं होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार बेशक गंदगी को दूर करने के लिए स्वच्छता अभियान चला रही हो लेकिन जब तक इस तरीके की हड़तालों को रोकने के लिए कोई योजनाएं या पॉलिसी नहीं बन जाती तब तक स्वच्छ भारत अभियान का सपना पूरा नहीं हो सकता.