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मेहरौली मस्जिद मामला : दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए से भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से मेहरौली में उस जमीन के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने को कहा, जहां पिछले महीने छह शताब्दी से अधिक पुरानी एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि यह आदेश सुनवाई की अगली तारीख तक प्रभावी रहेगा.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:49 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से मेहरौली में उस जमीन के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने को कहा, जहां पिछले महीने छह शताब्दी से अधिक पुरानी एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि यह आदेश सुनवाई की अगली तारीख तक प्रभावी रहेगा. उन्होंने कहा कि यह आदेश क्षेत्र में अन्य अवैध संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई के दौरान अधिकारियों के रास्ते में नहीं आएगा.

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अदालत ने मामले को 12 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण उस स्थान पर यथास्थिति बनाए रखेगा जहां ‘अखुंदजी मस्जिद’ स्थित था . यह फैसला दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की याचिका पर आया, जिसमें दलील दी गई है कि मस्जिद को गिराया जाना अवैध था.

डीडीए ने 30 जनवरी को संपत्तियों को अनधिकृत निर्माण बताते हुए मस्जिद, बहरुल उलूम मदरसा और विभिन्न कब्रों को तोड़ दिया था. 31 जनवरी को हाई कोर्ट ने डीडीए से जवाब मांगा कि क्या उसने मस्जिद गिराने से पहले कोई पूर्व सूचना दी थी. सोमवार को प्रबंध समिति ने कहा कि धार्मिक समिति के पास किसी भी विध्वंस कार्रवाई का आदेश देने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.

डीडीए ने दलील दी कि चार जनवरी को धार्मिक समिति की सिफारिशों के अनुसार विध्वंस किया गया था, साथ ही दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को भी फैसले से पहले सुनवाई का अवसर दिया गया था.

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इस मामले पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने संसद में आवाज उठाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, अबूधाबी जाकर शेख जायद मस्जिद में मुस्कुराते हुए सेल्फी लेने वाले पीएम मोदी को महरौली की 700 साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद के टूटने की चीखें क्यों नहीं सुनाई देती? डीडीए के अधिकारी सुबह 5 बजे महरौली में एक मस्जिद, मदरसा और मंदिर जमींदोज कर देते हैं. क्या विकास प्राधिकरण वर्शिप एक्ट को नहीं मानता?

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