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न्यूनतम वेतन बढ़ोतरी पर HC के फैसले को SC में चुनौती देगी AAP सरकार

दिल्ली सरकार ने मार्च 2017 में न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि को लेकर एक अधिसूचना जारी की थी. इसके तहत सभी श्रेणियों में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई गई थी. शनिवार को हाइकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की अधिसूचना को खारिज़ कर दिया था.

गोपाल राय गोपाल राय
पंकज जैन/वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST

न्यूनतम वेतन बढ़ोतरी पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने के फैसले को आम आदमी पार्टी सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. दिल्ली सरकार में श्रम मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को विभाग के तमाम अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने का कारण बताया.

गोपाल राय ने बताया, हाईकोर्ट की पहली अपात्ति है कि दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाते हुए जल्दबाज़ी की, जबकि दिल्ली में 8 अप्रैल 2016 को कमेटी बनी. कमेटी ने आठ बैठकें कीं. फिर उप राज्यपाल की अपात्ति के बाद दोबारा कमेटी अगस्त 2016 में बनी जिसने 9 बैठतें कीं. 3 मार्च 2017 को फाइनल नोटिफिकेशन जारी हुआ था.

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बकौल गोपाल राय , हाइकोर्ट की दूसरी अपात्ति है कि न्यूनतम वेतन बढ़ाने से संबंधित कमेटी में एसोचेम, फिक्की, सीआईआई के लोगों को क्यों जोड़ा गया? मंत्री ने कहा कि जब दिल्ली में 2010 में डीए को लेकर सवाल उठे थे, उस दौरान भी इस मसले को सुलझाने के लिए गठित कमेटी में एसोचेम, फिक्की और सीआईआई के सदस्य शामिल थे, तब इस पर कोई सवाल खड़ा नहीं किया गया तो अब क्यों आपत्ति की जा रही है? 

उन्होंने कहा, दिल्ली सरकार के मुताबिक हाईकोर्ट ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए हमारे फॉर्मूले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. दिल्ली सरकार हाइकोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है और उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

बता दें कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2017 में न्यूनतम मजदूरी बढ़ोतरी का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके तहत सभी श्रेणियों में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई गई थी. शनिवार को हाइकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी के नोटिफिकेशन को खारिज़ कर दिया था.

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