
दंगा मामले में राहत मिलने के बाद अब दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है. जांच एजेंसी ने इस संदर्भ में पिछले साल 24 अगस्त को केस दर्ज किया था.
वहीं सतेंद्र जैन के खिलाफ मुकदमे की अनुमति दिए जाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साथा है. उन्होंने ट्वीट किया, ' भाजपा ने ये केस सत्येन्द्र जैन पर नहीं किया बल्कि कच्ची कालोनियों में रहने वाले हर शख़्स पर किया है. सत्येन्द्र जैन ने कच्ची कालोनियों को पक्का करने की स्कीम बनाई. केंद्र ने उसको पास तो किया नहीं, उलटे आज सत्येन्द्र जैन पर केस दर्ज कर दिया. भाजपा कच्ची कालोनियों को पक्का करने के सख़्त ख़िलाफ़ है. भाजपा दिल्ली वालों की दुश्मन है. मोदी दिल्ली के लिए, तू तो हानिकारक है.'
दर्ज मुकदमे के मुताबिक सतेंद्र जैन के पास दिल्ली में कई मुखौटा कंपनियां हैं. इन कंपनियों का रियल-एस्टेट के क्षेत्र में कोई कारोबार नहीं है. आरोप है कि जैन ने वित्त वर्ष 2010-11 से 2015-16 के दौरान 54 मुखौटा कंपनियों के जरिये 16.39 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग की थी.
गौरतलब है कि इस साल फरवरी में सीबीआई ने किसी और केस की जांच के दौरान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की तीन संपत्तियों के कागजात, 2 करोड़ रुपये की डिपोजिट स्लिप्स, उसकी कंपनी की 41 चेकबुक बरामद की थीं.
दरअसल हुआ यूं कि सीबीआई की टीम डेंटल काउंसिल के एक रजिस्ट्रार ऋषि राज के खिलाफ रिश्वत लेने के एक मामले की तफ्तीश कर रही थी. उसी सिलसिले में जब ऋषिराज के लॉकरों की तलाशी ली गई तो उनमें से 24 लाख रुपये कैश और आधा किलो सोना बरामद हुआ. साथ ही उन लॉकर्स में सत्येंद्र जैन की 3 संपत्तियों के कागजात, 2 करोड़ की डिपोजिट स्लिप और 41 चेक बुक बरामद हुए.
दंगा मामले में अभी हुए हैं बरी
बता दें कि कुछ ही दिन पहले दिल्ली की एक अदालत ने 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले पश्चिम विहार इलाके में दंगा के एक कथित मामले से जैन को बरी कर दिया था. कोर्ट ने कहा अभियोजन के गवाह जैन की पहचान करने में नाकाम रहे.
जैन के वकील मोहम्मद इरशाद ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के चार कार्यकर्ताओं को राहत प्रदान करते हुए कहा कि अभियोजन के गवाह जैन की पहचान करने में नाकाम रहे.
दिल्ली पुलिस ने दुष्कर्म की घटना के बाद प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर दंगा करने और लोकसेवक के कार्य में बाधा डालने के लिए जैन को गिरफ्तार किया था. अपने आदेश में अदालत ने कहा कि कोई भी लोकसेवक उनके सामने पेश नहीं हुआ जिससे साबित हो कि जैन ने उनके आधिकारिक कार्य में बाधा डाली.