
दिल्ली विधानसभा ने विधायकों की सैलरी बढ़ाने और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांगों पर विचार करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.
यह फैसला तब आया है जब केंद्र सरकार ने अप्रैल 2023 से सांसदों की सैलरी में 24% की बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी की है.
क्या हैं विधायकों की मांगें?
- विधायकों की सैलरी में बढ़ोतरी
- क्षेत्रीय कामों के लिए अधिक सहायक कर्मचारी
- डेटा एंट्री ऑपरेटर्स का वेतन बढ़ाना
कौन हैं इस कमेटी में?
बीजेपी विधायक और मुख्य सचेतक अभय वर्मा इस समिति के अध्यक्ष हैं. अन्य सदस्यों में सूर्य प्रकाश खत्री, पूनम शर्मा, संजीव झा और विशेष रवि शामिल हैं. यह समिति दो हफ्तों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है.
विधायकों का क्या कहना है?
इस फैसले पर AAP विधायक अनिल झा ने कहा कि विधायकों को एक गरिमापूर्ण दर्जा दिया जाता है, लेकिन उनकी सैलरी जिलाधिकारियों और एसडीएम से भी कम है. उन्होंने पूर्व विधायकों के लिए सम्मानजनक पेंशन की भी मांग की. वहीं बीजेपी विधायक कुलवंत राणा ने कहा कि दिल्ली के विधायकों को भी गोवा और जम्मू-कश्मीर की तरह उचित वेतन मिलना चाहिए. इसके अलावा बीजेपी विधायक सूर्य प्रकाश खत्री ने विधायकों के लिए डेटा एंट्री ऑपरेटर्स की संख्या दो से बढ़ाकर चार करने और उनका वेतन बढ़ाने की मांग की.
कब हुई थी आखिरी वेतन वृद्धि?
दिल्ली के विधायकों की सैलरी फरवरी 2023 में बढ़ाई गई थी. पहले विधायकों को ₹54,000 मिलते थे, जिसे बढ़ाकर ₹90,000 कर दिया गया. मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, स्पीकर, उप-स्पीकर, मुख्य सचेतक और विपक्ष के नेता की सैलरी ₹72,000 से बढ़ाकर ₹1.7 लाख कर दी गई थी.