
नॉर्थ वेस्ट दिल्ली का मुखर्जी नगर आईएएस-पीसीएस जैसे अधिकारी बनने की चाहत रखने वालों का मक्का कहलाता है. कोचिंग हब कहे जाने वाला मुखर्जी नगर गर्मियों के दिनों में एक तरह से बारूद के ढेर पर बैठा होता है. यहां रिहायशी और कमर्शियल इलाका तारों के जालों से कुछ इस तरह से गूंथा हुआ है कि अलग कर पाना मुश्किल है. किस घर में किराए पर लोग रह रहे हैं, कौन सा घर रिहायशी है और फिर किस इमारत का कमर्शियल इस्तेमाल हो रहा है, यह ठीक-ठीक बता पाना बहुत मुश्किल है. वहीं अधिकांश इमारतें यहां ऐसी हैं, जिनमें ना तो इमरजेंसी एग्जिट है और ना ही आग बुझाने के इंतजाम.
दरअसल, कोचिंग संस्थानों के रेगुलेशन का कोई नियम नहीं है. मुखर्जी नगर में 5 हजार से ज्यादा कोचिंग सेंटर हैं, लेकिन इनके रेगुलेशन के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं है. मुखर्जी नगर की जिस ज्ञान बिल्डिंग में आग लगी, उसमें आने-जाने के लिए दो रास्ते हैं, लेकिन वो भी बेहद संकरे. यही वजह है कि मीटर में आग लगने की वजह से जैसे ही धुआं ऊपर के फ्लोर पर पहुंचा तो कोचिंग सेंटर में मौजूद करीब 150 बच्चे घबरा गए और इनमें से कई बच्चों ने रस्सी से उतरने की कोशिश की, जिसमें वह घायल हो गए.
इमारत में आग लगने के बाद दिल दहलाने वाली तस्वीरें सामने आईं. यहां कुछ छात्र तो रस्सी से नीचे उतर रहे थे तो वहीं कुछ ने सीधे नीचे छलांग लगा दी. बिल्डिंग में जाने का रास्ता बहुत तंग था. वहीं दूसरी तरफ पीछे मौजूद एक दूसरा रास्ता भी था, लेकिन वह भी बहुत संकरा था. ऐसे में बड़ी घटना होने पर जानमाल का नुकसान अधिक हो सकता था.
कोचिंग सेंटर में फायर एनओसी लेने का क्या है नियम?
एक नियम के तहत 15 मीटर से नीचे की इमारतों को एनओसी की जरूरत नहीं होती है. लेकिन इससे ऊपर की इमारतों के लिए एनओसी लेना जरूरी होता है. लिहाजा अब फायर विभाग यह जांच करेगा कि ज्ञान बिल्डिंग ने फायर एनओसी ली थी या नहीं. दिल्ली फायर सर्विस के चीफ अतुल गर्ग ने कहा कि हम पता करेंगे कि जिस ज्ञान बिल्डिंग में आग लगी है, उसने फायर का एनओसी लिया था या नहीं.
2019 में आग की घटना के बाद भी नहीं लिया सबक?
आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2019 में सूरत कोचिंग सेंटर में 20 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की घटना के बाद दिल्ली सरकार, प्रशासन, फायर विभाग हरकत में तो आया और कागजों पर भी योजनाएं भी बनाई, लेकिन वह जमीन पर आज भी नहीं उतर पाईं. यानी कोचिंग सेंटर में हुए इतने बड़े अग्निकांड के बाद भी अधिकारियों ने सबक नहीं लिया. दिल्ली पुलिस की पीआरओ सुमन नलवा ने बताया कि आग क्यों लगी, इसकी जांच की जाएगी, फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी जांच करेंगे.
ज्ञान बिल्डिंग में कहां लगी थी आग?
दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थित ज्ञान बिल्डिंग में गुरुवार को आग लग गई थी. इस बिल्डिंग में कोचिंग सेंटर चलता है और जिस समय आग लगी, उस समय इमारत में 150 से अधिक छात्र थे. आग लगने के बाद इमारत में धुंआ उठने लगा. इसके बाद छात्रों में अफरा तफरी मच गई. छात्रों ने जान बचान के लिए इमारत से रस्सियों के सहारे कूदना शुरू कर दिया. इस दौरान चार छात्रों को चोटें भी आईं. इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर समेत 5 फ्लोर हैं. माना जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से मीटर के पैनल में आग लगी थी, जिसका धुआं फैल कर ऊपरी इमारत पर पहुंच गया.
लापरवाही निकली तो होगी कार्रवाई: डीसीपी
दिल्ली पुलिस के डीसीपी जितेंद्र मीना ने बताया कि आग लगने की घटना में करीब 20 से 25 छात्र घायल हुए हैं. ये छात्र रस्सी से उतरते वक्त घायल हुए हैं. बिल्डिंग के पास एनओसी थी या नहीं, इसकी जांच की जा रही है. आग क्यों लगी, अभी जांच की जाएगी, फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी जांच करेंगे. बताया जा रहा है कि ज्ञान बिल्डिंग के मीटर पैनल में आग थी. बिल्डिंग में संस्कृति आईएएस कोचिंग सेंटर चल रहा था. इसमें किसी की भी लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बिल्डिंग में नहीं थी इमरजेंसी एग्जिट: चश्मदीद छात्र
हिमांशु नाम का एक छात्र है, जिसके दोनों हाथों में रस्सी से उतरते वक्त चोट लगी है. उसने बताया कि बिल्डिंग में तकरीबन 150 छात्र थे. बिल्डिंग के मीटर में शॉर्ट सर्किट हुआ और उसके बाद आग नीचे लगे हुए सभी मीटरों में लगी, जिसकी वजह से ऊपर बच्चों में अफरा-तफरी हो गई. आग संस्कृति क्लासेस कोचिंग सेंटर में लगी थी. इसके क्लास रूम नंबर 7 में आग लगी थी. बिल्डिंग में कोई इमरजेंसी एग्जिट की व्यवस्था नहीं है. किसी इमरजेंसी के समय में आग लगने के दौरान आग बुझाने के उचित इंतजाम कोचिंग सेंटर में नहीं है.