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मुंडका अग्निकांडः 'मृतकों की लिस्ट भी देखी पर भाई का पता नहीं चला', अस्पताल के बाहर जुटे परिजनों का छलका दर्द

Delhi Mundka Fire: दिल्ली के मुंडका में भीषण आग लगने से कई जिंदगियां खत्म हो गईं. लेकिन परिजनों का दुख इससे भी बड़ा है. उनका कहना है कि वो ये तक नहीं जानते कि उनके अपने कहां हैं. अस्पताल के बाहर खड़े हैं, कोई अंदर जाने तक नहीं दे रहा है.

संजय गांधी अस्पताल के बाहर मौजूद परिजन संजय गांधी अस्पताल के बाहर मौजूद परिजन
तेजश्री पुरंदरे
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:34 AM IST
  • हादसे में देर रात तक 27 लोगों की हुई मौत
  • 100 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है

Delhi Mundka Fire: दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास तीन मंजिला इमारत में लगी आग में जान गंवाने वालों और घायलों को संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया. इस हादसे में अपनों को खोने वाले या घायलों के परिजन जब संजय गांधी अस्पताल पहुंचे तो उनके जख्म औऱ भी ज्यादा गहरे हो गए. अस्पताल के बाहर अपनों को तलाशते लोगों का कहना था कि उन्हें ये तक नहीं पता कि उनके परिजन कहां हैं.

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अस्पताल के बाहर मौजूद ललित ने बताया कि हादसे के बाद दोस्त की मां की कोई जानकारी नहीं है. घटना के दौरान मैंने उनसे फोन पर बात की थी, तो उन्होंने बताया था कि 'ललित अभी फोन काट दे, यहां जान बचाना मुश्किल है, 100 से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं.' ललित ने कहा कि शाम 5 बजकर 36 मिनट पर मेरी आंटी से बात हुई थी. वह बहुत घबराई हुई थीं. उन्होंने कहा कि फोन पर लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं. लेकिन हादसे के बाद हमें ये भी नहीं पता कि वह कहां हैं. फोन की रिंग जा रही है लेकिन कॉल रिसीव नहीं हो रहा है. पिछले 4 घंटे से अपनी आंटी की तलाश कर रहे हैं. 

दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल के बाहर पीड़ित ने कहा कि मेरा छोटा भाई कंपनी में काम करता था. उसका पता नहीं चल रहा है. यहां अस्पताल में कई एंबुलेंस आ रही हैं. जिनमें डेड बॉडी को लाया जा रहा है. मैंने लिस्ट में भी भाई का नाम पता किया, लेकिन अस्पताल में जानकारी नहीं मिल सकी.

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संजय गांधी अस्पताल के बाहर मौजूद लोगों का कहना था कि जो हमें ये भी नहीं पता कि हमारे लोग अब कहां हैं और किस हाल में है. एक पीड़ित ने कहा कि मेरा भाई भर्ती है, लेकिन वह कहां है ये नहीं पता है. एक व्यक्ति ने बताया कि मेरी सिस्टर की सहेली ने कूदकर जान बचाई. उसने हमें बताया कि आपकी बहन वहां फंसी हुई है. जब हमने अस्पताल में आकर पता किया तो उसकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. 

अस्पताल के बाहर लोगों ने बताया कि किससे पूछें हमारे लोग कहां हैं. अस्पताल में जाने से रोका जा रहा है. जब हमें पता चला कि आग लग गई है, तो हमने फोन लगाने की कोशिश की, लेकिन फोन स्विच ऑफ आ रहा था. कोई रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा. अब चिंता सताने लगी है.

 

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