
राजधानी दिल्ली से एक दिल दहला देने वाली एक घटना सामने आई है. इसमें सरोजनी नगर स्थित सर्वे ऑफ इंडिया डिफेंस ऑफिसर कॉम्पलेक्स के सीनियर सर्वेयर महेश कुमार की हत्या कर शव को सरकारी फ्लैट के आंगन में जमीन में गाड़ दिया गया. हत्या कंपनी के ही क्लर्क अनीस ने की थी. अब इस हत्याकांड में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
पता चला है कि महेश, अनीस और उसकी प्रेमिका तीनों एक ही आफिस में काम करते थे. सारी कहानी यहीं से शुरू हुई है. महेश और अनीस दोनों एक वक्त में अच्छे दोस्त थे. यही वजह थी कि जब अनीस को 9 लाख रुपये की जरूरत पड़ी तो महेश ने बिना सोचे समझे उसे पैसे दे दिए. समय कटता रहा. इसी बीच अनीस की ऑफिस में ही एक गर्लफ्रेंड बन गई.
महेश की भी अनीस की प्रेमिका पर गंदी नजर थी. वह उससे नजदीकियां बढ़ाना चाहता था. लेकिन अनीस को जब यह बात पता चली तो उसने इसका विरोध किया. इसी बात को लेकर महेश और अनीस में बहस हो गई. महेश ने अनीस को बहुत कुछ उल्टा-सीधा बोल दियाय. इससे अनीस के मन में महेश के लिए नफरत पैदा हो गई. आहत होकर उसने महेश के मर्डर करने का प्लान बना लिया.
योजना के तहत, पहले उसने मार्केट से 6 फीट की पॉलिथीन और फावड़ा खरीदा. उसके बाद 28 अगस्त की दोपहर को महेश को अनीस ने अपने घर बुलाया. अनीस आरके पुरम के सेक्टर 2 में फ्लैट में रहता थाय. महेश दोपहर करीब 12 बजे अपनी कार से आर के पुरम सेक्टर-2 स्थित उसके घर पहुंचा. महेश को ये नहीं पता कि अनीस के मन में इतनी नफरत भरी पड़ी है. फ्लैट में फिर दोनों के बीच बहस हुई. गुस्से में आकर अनीस ने महेश के सिर पर पाइप रिंच मारकर उसकी हत्या कर दी. उसने अपना फ्लैट बंद किया. अपना फोन घर पर ही छोड़ा और महेश का फोन अपने साथ लेकर फरीदाबाद की तरफ निकल पड़ा. वो 28 अगस्त को कई जगहों पर घूमा.
1121 से शव लेकर पहुंचा 623
फिर आखिरकार बाइक से सोनीपत पहुंच गया. अनीस सोच रहा था कि उसके घर पर पुलिस न पहुंच जाए, साथ-साथ वो महेश के घरवालों को बरगला भी रहा था कि वो अपने फ्लैट पर नहीं है. 29 अगस्त को वो वापस अपने घर आर के पुरम सेक्टर दो स्थित मकान नंबर 1121 पहुंचा. अनीस के पास एक और फ्लैट की चाबी थी. ये फ्लैट नंबर था 623. ये खाली था. बस अनीस ने इसी घर में शव को दफनाने का मन बना लिया. देर रात उसने शव अपनी गाड़ी में रखा और फ्लैट नंबर 623 पहुंच गया. यहां उसने रात में फावड़े से गड्ढा खोदना शुरू किया. डेढ़ फीट गहरे में उसने शव को दफना दिया और उसके बाद ऊपर से सीमेंट से फर्श पक्का कर दिया. इसके बाद वो अपने घर पहुंच गया.
महेश की पत्नी ने अनीस को 28 अगस्त की देर शाम फोन किया तो उसने बताया कि महेश आया जरूर था, लेकिन वो किसी के साथ चला गया था. अनीस ने ये भी बताया कि वो अपनी कार यहां पर छोड़ कर गया है. ऐसा उसने इसलिए किया ताकि पुलिस को उस पर शक न हो. पुलिस ने जब मामले की जांच की तो पता चला कि महेश की फोन लोकेशन तो फरीदाबाद आ रही है. ऐसे में पुलिस को शुरुआत में अनीस की बात पर यकीन हो गया कि वो जो कह रहा था, सच है.
इस बीच पुलिस को पता चला कि महेश ने अपने मोबाइल से किसी रिश्तेदार को ये मैसेज किया था कि उस पर 65 लाख रुपए कर्जा है. लिहाजा वो अपनी मर्जी से जा रहा है. पुलिस को शुरुआत में ऐसा लगा शायद वो अपनी मर्जी से गया, लेकिन पुख्ता तौर पर ऐसा कहा नहीं जा सकता था.
दिल्ली पुलिस ने कहां की गलती
दरअसल, 28 अगस्त की रात को जब पुलिस को ये पता चला कि महेश गायब है और ये भी पता चला कि वो अनीस के घर गया था और कार वहां खड़ी है तो फिर पुलिस ने अनीस के घर उसी समय रेड क्यों नहीं की? तब तक महेश की लाश वहीं पर मौजूद थी. अगले दिन यानी 29 अगस्त को अनीस ने उसकी लाश को दफनाया था. अगर पुलिस रेड मार देती तो कातिल का तभी पता लग जाता.
धीरे-धीरे पुलिस ने जब कई लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि दोनों महेश और अनीस अच्छे दोस्त थे. जब अनीस से पूछा कि वो कहां गया था, तो उसने कहा कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है. पुलिस ने अनीस और महेश के रिश्तों को लेकर सवाल किए. ये भी पूछा कि जब वो तुम्हारा इतना अच्छा दोस्त है तो उसने तुम्हें क्यों नहीं बताया कि वो कहां जा रहा है? ये भी पूछा कि वो अपनी कार यहां क्यों छोड़ गया? उसकी लोकेशन फरीदाबाद कैसे आ रही है? आखिरकार पुलिस ने बैंक अकाउंट चेक किए तो पता चला कि महेश ने उसे 9 लाख रुपए दे रखे थे. जब उससे सख्ती से पूछताछ हुई तो सच सामने आ गया. अनीस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया और 2 सितंबर को शव बरामद कर लिया.