
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) मामला असम और पश्चिम बंगाल के बाद अब देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गया है. दिल्ली में बीजेपी ने बंग्लादेशियों और रोहिंग्या की पहचान कर उन्हें बाहर करने की मांग की है. इसके लिए दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखी है.
मनोज तिवारी ने खत में लिखा कि दिल्ली में भी अवैध रूप से बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये रह रहे हैं जिन्होंने अवैध रूप से राशन कार्ड और आधार कार्ड बनवा लिए हैं, जिससे गरीब आदमी का हक मारा जा रहा है. ये घुसपैठिये दिल्ली में आपराधिक गतिविधियों में भी संलिप्त पाए गए हैं. इनकी उपस्थिति कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है, इसलिए हमारी मांग है कि दिल्ली में भी इन घुसपैठियों पर उसी तरह की कार्रवाई की जाए जैसी देश के अन्य हिस्सों में की जा रही है. इनकी शिनाख्त कर इन्हें से देश बाहर किया जाए.
अवैध रूप से रह रहे लोगों की होगी पहचान
बता दें कि असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को निकालने के लिए सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया है. दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में गिने जाने वाला यह कार्यक्रम डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट आधार पर है. यानी कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहले पहचान की जाएगी फिर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाएगा.
असम में घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए यह अभियान करीब 37 सालों से चल रहा है. 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वहां से पलायन कर लोग भारत भाग आए और यहीं बस गए. इस कारण स्थानीय लोगों और घुसपैठियों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हुईं. 1980 के दशक से ही यहां घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए आंदोलन हो रहे हैं.
जनवरी में आया था पहला ड्राफ्ट
बीते जनवरी में असम में सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का पहला ड्राफ्ट जारी किया था. इसमें 3.29 करोड़ लोगों में से केवल 1.9 करोड़ को ही भारत का वैध नागरिक माना गया है.