
दिल्ली का पावर वॉर अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा की देहरी तक पहुंच चुका है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 आज राज्यसभा में पेश किया जाना है. सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही तरफ से व्हिप जारी किए जा चुके हैं. दिल्ली के विधेयक पर उच्च सदन में नंबरगेम पारित होने का इशारा कर रहा है तो वहीं विपक्ष को ये उम्मीद है कि वो इसे राज्यसभा में रोक लेगा.
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आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह बार-बार ये विश्वास व्यक्त कर रहे हैं कि हम ये बिल रोक लेंगे. वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल (बीजेडी) और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने विधेयक के समर्थन का ऐलान कर दिया है. इन पार्टियों के समर्थन के बाद राज्यसभा से भी इस बिल के पारित हो जाने का रास्ता साफ हो गया है. तस्वीर साफ है फिर भी संजय सिंह, आम आदमी पार्टी और विपक्ष की उम्मीद की बुनियाद क्या है?
राज्यसभा में गिर गया था पंचायती राज बिल
आम आदमी पार्टी और विपक्षी दलों की दिल्ली से संबंधित बिल रोक लेने की उम्मीद पर संसदीय मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि ये राज्यों के अधिकार से जुड़ा मुद्दा है इसलिए ऐसा हो भी सकता है. उन्होंने अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिरने का जिक्र करते हुए कहा कि तब भी सरकार को विश्वास था कि उनके पास जरूरत से छह अधिक वोट हैं. लेकिन जब वोटिंग हुई, वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी.
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राज्यसभा में पहले भी कई मौके ऐसे आए हैं जब कोई बिल वोटिंग में गिर गया हो. पंचायतीराज बिल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. गौरतलब है कि 1989 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने पंचायतीराज बिल लोकसभा से पास करा लिया था लेकिन ये राज्यसभा में गिर गया था. वहीं, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी कई बिल राज्यसभा की दहलीज तक पहुंचे लेकिन उच्च सदन में ब्रेक लग गया.
राज्यसभा में लटके 20 से अधिक बिल
आंकड़ों पर नजर डालें तो 20 से अधिक बिल ऐसे हैं जो लोकसभा की परीक्षा पास कर गए लेकिन राज्यसभा में लंबित रह गए. इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन बिल, ट्रेड यूनियन संशोधन बिल, कंपनी संशोधन बिल, सेंट्रल यूनिवर्सिटी संशोधन बिल समेत कई बिल राज्यसभा में लंबित रह गए.
पीएम मोदी ने भी राज्यसभा में कहा था संख्याबल के अभाव के कारण कई बिल की मियाद खत्म हो चुकी है. नागरिकता संशोधन विधेयक भी मोदी सरकार 1.0 में लोकसभा से पारित हो जाने के बाद राज्यसभा में लंबित रह गया था. तीन तलाक को लेकर बिल भी मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में उच्च सदन से पारित करा पाई थी.
राज्यसभा में खत्म हो गई कई बिल की मियाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार सत्ता की बागडोर संभालने के बाद राज्यसभा में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को कोट करते हुए कहा था कि जनादेश शासन करने के लिए है. अल्पमत का जनादेश विरोध करने के लिए. लेकिन किसी को व्यवधान डालने के लिए जनादेश नहीं है. पीएम मोदी का ये बयान इसलिए खास था क्योंकि राज्यसभा में संख्याबल के अभाव के कारण कई बिल लटके रहे. कई बिल तो ऐसे भी रहे जिनकी मियाद लोकसभा भंग होने के साथ ही समाप्त हो गई.
अब क्या हो सकती है विपक्ष की रणनीति
दिल्ली से संबंधित बिल पर संख्याबल के लिहाज से सरकार का पलड़ा भारी है. ऐसे में विपक्ष की रणनीति क्या होगी? इस पर अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि विपक्ष की कोशिश होगी कि इस बिल को किसी भी तरह से सेलेक्ट कमेटी को भिजवा दिया जाए. विपक्ष अगर ये बिल राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी को भिजवाने में भी सफल रहा तो भी जीत होगी.