
दिल्ली में मॉनसून से पहले ही इमारतों का गिरना शुरू हो गया है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में जमींदोज हुई इमारत के मलबे में दबकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक छात्र की मौत हो गई. इस घटना ने मॉनसून में हर साल हादसों को रोकने के लिए होने वाले निगमों के सर्वे पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. इससे पहले मुंबई में भी एक चार मंजिला इमारत गिर गई जिसमें हुई मौतों के बाद नगर निगमों के कान खड़े हो गए हैं. ऐसे में हमने दिल्ली की तीनों निगमों के उस सर्वे की पड़ताल की जिसे हादसे रोकने के लिए किया जाता है.
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SDMC में 4 इमारत डेंजरस
दक्षिणी नगर निगम का दावा है कि सर्वे का 74 फ़ीसदी काम पूरा हो गया है, जिसमें 11 लाख, 44 हजार, 954 इमारतों में से 6 लाख, 50 हजार, 267 इमारतों का सर्वे पूरा हो गया है. इनमें से करीब 4 इमारतों को डेंजरस घोषित किया गया है.
NDMC में 424 बिल्डिंग्स खतरनाक
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सर्वे का आंकड़ा कहता है कि 83 लाख, 4 हजार, इमारतों में से 65 लाख, 52 हजार, 219 इमारतों का सर्वे पूरा हो गया है. जिनमें से 265 इमारतों को मरम्मत कराने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं करीब 424 इमारतों को खतरनाक घोषित किया गया है.
पूर्वी दिल्ली नगर निगम का दावा है कि सर्वे चल रहा है दिल्ली में मॉनसून के पहुंचने से पहले ही इसे पूरा कर लिया जाएगा. एक रिटायर्ड इंजीनियर ने बताया कि पुरानी दिल्ली और करीब 2000 अनाधिकृत कॉलोनियों में हादसों का खतरा सबसे ज्यादा है, दोनों ही जगहों पर अवैध निर्माण देखा गया है.
हादसे के बाद जहां पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों में बहुमंजिला इमारतों के गिरने की कई घटनाएं हो चुकी हैं, वहीं अनाधिकृत कॉलोनियों में अगर ऐसी कोई घटना होती है तो लोगों की आबादी ज्यादा होने से जान माल का ज्यादा नुकसान होता है.