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कुतुब मीनार की मुगल मस्जिद में नमाज पर इसलिए लगी है रोक, जानें ASI ने क्या कहा?

कुतुब मीनार के मुख्य गेट के दाएं तरफ बनी एक मुगलकालीन छोटी मस्जिद में नमाज होती थी. कहा जा रहा है कि अब इस नमाज पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने प्रतिबंध लगा दिया है.

कुतुब मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने कहा कि ASI ने यहां नमाज पढ़ना बंद करवा दिया है. कुतुब मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने कहा कि ASI ने यहां नमाज पढ़ना बंद करवा दिया है.
वरुण सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST
  • मुगल मस्जिद में क्या नमाज का अधिकार मिल पाएगा?
  • ASI ने आखिर किस आधार पर दिए आदेश?

कुतुब मीनार मामले में वक्त के साथ कई कहानियां अब लोगों के सामने हैं. एक तरफ कुतुब मीनार का मामला कोर्ट में है तो दूसरी तरफ अब मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक होने से सवाल उठने शुरू हो गए हैं. ऐसे में ASI की तरफ से साफ किया गया है कि क्यों यहां नमाज पर रोक लगाई है. ASI ने इसकी असलियत बताई है.

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कुतुब मीनार परिसर में मुगल मस्जिद के बारे में इमाम शेर मोहम्मद ने बयान दिया है. उनका कहना है कि इस मस्जिद में  लगातार इबादत होती थी. पहले नमाज की अदायगी में कभी कोई दिक्कत नहीं आई. लगातार सिलसिला चल रहा था. मगर अचानक क्यों बंद किया, इसका जवाब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की तरफ से नहीं मिला. इमाम कहते हैं कि हमसे सिर्फ इतना कहा कि आपको परमिशन नहीं है.

नमाज पढ़ने से संबंधित अनुमति पत्र नहीं मिला

वहीं, ASI के पूर्व अधिकारी और कुतुब मीनार परिसर के इंचार्ज रहे केके राजदान बताते हैं कि 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान नमाज पर प्रतिबंध लगाया गया था, क्योंकि नमाजियों के पास ASI का नमाज पढ़ने से संबंधित कोई अनुमति पत्र नहीं था, फिर साल करीब 2016 में इस छोटी मस्जिद में एक बार फिर नमाज शुरू हो गई थी.

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... तब परिमीशन की गुंजाइश बनती

इस मामले में ASI के अधिकारियों का कहना है कि हमारी तरफ से इस मस्जिद में कभी नमाज की अनुमति नहीं दी गई, किसी भी लिविंग मोन्यूमेंट में पूजा-अर्चना की अनुमति तभी मिलती है, जब या तो ASI ने उस इमारत को आधिकारिक रूप से जब अपने अंतर्गत लिया हो और उस समय अगर उसमें किसी भी तरह की नमाज या पूजा होती हो, तब तो परमीशन की गुंजाइश बनती है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड कोर्ट जाने के लिए तैयार

लेकिन मुगल मस्जिद के बारे में कोई अधिकारिक प्रमाण इस तरह के नहीं मिले हैं, इसलिए हमारी तरफ से कोई अनुमति नहीं दी गई है. हालांकि इस पूरे मामले में अब दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानततुल्ला ने कहा है कि मुगल मस्जिद   दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधीन थी, ऐसे में यहां के इमाम को वक्फ बोर्ड की तरफ से 46 साल से गुजारा भत्ता और सैलरी दी जा रही है. अमानततुल्ला ने कहा है कि इस पूरे मामले को अगर कोर्ट के जरिए सुलझाना पड़ा तो दिल्ली वक्फ बोर्ड उसके लिए तैयार है.

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