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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़: LNJP अस्पताल में कड़ी सुरक्षा, परिजनों को भी नहीं मिली एंट्री

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ के बाद लोक नायक जय प्रकाश नारायण (LNJP) अस्पताल में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. अस्पताल के गेटों को बैरिकेड लगाकर सील कर दिया गया और सिर्फ मेडिकल स्टाफ को अंदर जाने की अनुमति दी गई है.

LNJP अस्पताल में कड़ी सुरक्षा, परिजनों को भी नहीं मिली एंट्री LNJP अस्पताल में कड़ी सुरक्षा, परिजनों को भी नहीं मिली एंट्री
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ के बाद लोक नायक जय प्रकाश नारायण (LNJP) अस्पताल में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. अस्पताल के गेटों को बैरिकेड लगाकर सील कर दिया गया और सिर्फ मेडिकल स्टाफ को अंदर जाने की अनुमति दी गई है. घटना के कुछ घंटों बाद ही अस्पताल के बाहर भारी संख्या में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया. सुरक्षा कर्मियों ने एंट्री और एग्जिट गेट पूरी तरह बंद कर दिए.

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परिजनों को मरीजों से मिलने नहीं दिया गया
मीडिया कर्मियों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई. परिजनों को भी मरीजों से मिलने नहीं दिया गया. हर आने-जाने वाले की कड़ी जांच की गई. हॉस्पिटल के अंदर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. भगदड़ में घायल लोगों के परिजन अपने लापता परिजनों की तलाश में अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्हें कैजुअल्टी और ऑर्थोपेडिक विभाग में एंट्री नहीं मिली. अस्पताल प्रशासन ने सिर्फ अपनी लिस्ट चेक करके ही जानकारी दी, लेकिन परिजनों को मरीजों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई.

कई परिजनों ने शिकायत की कि किसी भी अस्पताल ने लापता लोगों की जानकारी नहीं दी और उन्हें मिसिंग कंप्लेंट तक दर्ज कराने का मौका नहीं मिला. LNJP अस्पताल में भगदड़ के सबसे ज्यादा पीड़ितों को लाया गया था, जिससे माहौल तनावपूर्ण बना रहा.

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हर वार्ड के बाहर सख्त सुरक्षा जांच की गई. मरीजों के पास 3 से 4 पुलिसकर्मी और मेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति संपर्क न कर सके. MRI और अन्य जांचों के लिए भी मरीजों को पुलिस की निगरानी में ले जाया गया. सामान्य मरीजों को इन वार्डों में भर्ती नहीं किया गया. 

मृतकों के शव परिजनों को सौंपे गए
अस्पताल के शवगृह (मॉर्चरी) को पूरी तरह लॉक कर दिया गया था. सुबह 9:30 बजे तक सभी मृतकों के पोस्टमार्टम की औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं और शवों को परिजनों को सौंप दिया गया. इसके बाद परिजन शवों को लेकर अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गए.

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