
राजधानी दिल्ली में चल रहे हुक्का बार को लेकर The National Green Tribunal (NGT) ने गुरुवार को बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने दिल्ली में हुक्का बार को बंद कराने के लिए लगाई गई याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हुक्का बार को एनजीटी एक्ट के अंतर्गत प्रदूषण फैलाने वाले कारकों में शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलता बल्कि यह बंद कमरे में की जाने वाली चीज है.
हालांकि दिल्ली सरकार ने पिछले साल कई हुक्का बार को बंद कराया था, लेकिन फिर भी दिल्ली में सैकड़ों हुक्का बार अभी भी चल रहे हैं. ऐसे हुक्का बार के लिए कोर्ट की ओर से आया यह फैसला बेहद राहत भरा है. इस याचिका के खारिज होने और एनजीटी की ओर से हुक्का को एनजीटी एक्ट में प्रदूषण फैलाने वाली चीजों में शामिल नहीं किए जाने के बाद प्रदूषण के नाम पर अब राजधानी में फिलहाल हुक्का बार को बंद करना बेहद मुश्किल होगा.
एनजीटी ने हालांकि याचिका खारिज करते हुए पर्यावरण और वन मंत्रालय को यह निर्देश भी दिया कि वह इनडोर एयर पाल्यूशन के संदर्भ में हुक्का के प्रभावों की जांच करे और इस मुद्दे पर उचित मानक निर्धारित करे यानि हुक्का बार आज एनजीटी एक्ट में भले ही शामिल न हो लेकिन भविष्य में जांच रिपोर्ट के आधार पर इसमें परिवर्तन किया जा सकता है. एनजीटी ने यह भी कहा कि शहर में रेस्त्रा और बारों में हुक्का के इस्तेमाल रोकना उसके न्यायक्षेत्र में नहीं है.
इसके अलावा एनजीटी ने यह भी कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को कोर्ट यह भी सलाह देना चाहेगा कि वह घरेलू वायु प्रदूषण के संदर्भ में हुक्का के प्रभावों पर विचार करे. बीजेपी अकाली नेता और विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने अक्टूबर 2017 में एनजीटी में याचिका लगाई थी कि राष्ट्रीय राजधानी में हुक्का बार पर दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. इस याचिका में करीब 20 बड़े हुक्का बार को पार्टी बनाया गया था.
दिल्ली एनसीआर में हुक्का बार का चलन सबसे पहले गुरुग्राम के रेस्तराओं में शुरू हुआ है, लेकिन उसके बाद ये दिल्ली में भी पॉपुलर होने के बाद बड़ी संख्या में हुक्का बार कुकुरमुत्ते के तरह खुल गए. इस याचिका में मुख्य रूप से कहा गया था कि जो लोग हुक्का पीने आते हैं, उनके कारण रेस्तरां में मौजूद लोगों को बेवजह पैसिव स्मोकिंग करनी पड़ती है और हुक्के के धुएं से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.