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निर्भया केस: दोषी पवन के पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित

निर्भया गैंगरेप केस में मौत की सजा पाए पवन कुमार के पिता पर याचिका पर दिल्ली की एक कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. निर्भया रेप केस के दोषियों की फांसी का वक्त नजदीक आ रहा है क्योंकि चारों दोषियों को एक फरवरी को फांसी दी जानी है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

  • सेशंस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
  • गवाह पर इंटरव्यू देने का आरोप

निर्भया गैंगरेप केस के दोषी पवन कुमार के पिता की याचिका पर पटियाला हाउस के सेशंस कोर्ट ने आज सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है. पवन के पिता ने याचिका दायर कर एकमात्र चश्मदीद गवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

उस पर पैसे लेकर मीडिया में इंटरव्यू देने का आरोप है. पवन के पिता ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से पिछले छह जनवरी को उसकी याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है.

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1 फरवरी को होगी फांसी

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने पवन के पिता की याचिका खारिज कर दी थी. निर्भया केस के दोषी पवन गुप्ता ने पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया के दोस्त और केस के इकलौते गवाह अवनींद्र पांडे के खिलाफ याचिका दायर की थी. साथ ही उसने जल्द सुनवाई की गुहार लगाई. याचिका में दोषी पवन ने निर्भया के दोस्त पर आरोप लगाया कि उसने पैसे लेकर गवाही दी.

निर्भया के चारों दोषियों को एक फरवरी सुबह सात बजे फांसी दी जानी है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इस संबंध में चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को फांसी दिए जाने का डेथ वारंट जारी कर दिया था, जिसके बाद से ही दोषियों की ओर से कई तरह के कानूनी रास्ते अपनाए जा रहे हैं.

दूसरी बार जारी हुआ डेथ वारंट

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निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की सजा का ऐलान तो काफी पहले हो चुका था, लेकिन डेथ वारंट इसी साल हुआ. दिल्ली की स्थानीय अदालत ने पहले 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी देने का ऐलान किया था, लेकिन कुछ दोषियों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर करने पर तकनीकी दिक्कत की वजह से फांसी टल गई थी.

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इसके बाद अदालत ने एक और नई तारीख का ऐलान किया और 1 फरवरी की तारीख तय कर दी गई.

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इससे पहले भी निर्भया के दूसरे दोषी पवन ने अदालत में याचिका दायर की थी, कि उसने खुद को घटना के वक्त नाबालिग बताया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पवन की दलीलों को खारिज कर दिया और घटना के वक्त उसे बालिग माना था. यानी उसे सुनाई गई सजा बतौर बालिग के तौर पर लागू होगी.

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