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MCD कमिश्नर की जांच के लिए गठित समिति पर सवाल, जूनियर को दिया जिम्मा

ऑर्डर की कॉपी से साफ हो जाता है कि दीपक पुरोहित एक महीने पहले तक केशवपुरम ज़ोन के डीसी थे जो खुद कमिश्नर को रिपोर्ट करते हैं. यानी जो शख्स कुछ दिनों पहले तक दीपक पुरोहित के सीनियर बॉस थे अब उन्ही की जांच का जिम्मा पुरोहित को बतौर सीवीओ दिया गया है.

नॉर्थ MCD कमिश्नर ने पार्षदों के साथ की बैठक नॉर्थ MCD कमिश्नर ने पार्षदों के साथ की बैठक
रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2018,
  • अपडेटेड 3:56 AM IST

नॉर्थ एमसीडी कमिश्नर मधुप व्यास पर लगे आरोपों की जांच के लिए मेयर आदेश गुप्ता ने जांच समिति तो बना दी है लेकिन ये समिति शुरू से ही सवालों के घेरे में थी. अब आजतक के पास वो दस्तावेज़ हैं जो या साबित कर रहे हैं कि कैसे ये जांच समिति महज़ एक दिखावा लग रही है.

दरअसल, नॉर्थ एमसीडी में पूर्व एडिशनल कमिश्नर रेणु गुप्ता ने कमिश्नर मधुप व्यास पर गंभीर आरोप लगाए थे जिसकी जांच के लिए मेयर आदेश गुप्ता ने 3 सदस्यीय जांच समिति बनाई थी. इस जांच समिति में सीवीओ दीपक पुरोहित, एडिशनल कमिश्नर एस के भंडारी और एडिशनल कमिश्नर युवी त्रिपाठी शामिल हैं.

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इस जांच समिति पर विपक्ष पहले ही कमज़ोर होने का आरोप लगा चुका है और अब आजतक के पास उस आदेश की एक्सक्लूसिव कॉपी है जिससे विपक्ष के आरोपों को आधार मिल रहा है. 24 अप्रैल 2018 के ऑर्डर की कॉपी से साफ हो जाता है कि दीपक पुरोहित एक महीने पहले तक केशवपुरम ज़ोन के डीसी थे जो खुद कमिश्नर को रिपोर्ट करते हैं. यानी जो शख्स कुछ दिनों पहले तक दीपक पुरोहित के सीनियर बॉस थे अब उन्ही की जांच का जिम्मा पुरोहित को बतौर सीवीओ दिया गया है.

नॉर्थ एमसीडी में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने इस ऑर्डर की कॉपी देखने के बाद उत्तरी दिल्ली के मेयर आदेश गुप्ता पर ही पूरे मामले की लीपापोती करने का आरोप लगा दिया है. गोयल का आरोप है कि मेयर की बनाई जांच समिति के सभी सदस्य कमिश्नर को या तो रिपोर्ट करते थे या कर रहे हैं. ऐसे में उनसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद कम ही है. लेकिन इसके बावजूद जिस तरह से मेयर ने इनकी समिति बनाई है उससे ये शक होता है कि कमिश्नर पर लगे आरोपों की सच्चाई को मेयर सामने लाना भी चाहते हैं या नहीं.  

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इस बारे मे जब बीजेपी नेताओं से बात की तो उन्होने खुद माना कि जांच से अगर संतुष्टि नहीं हुई तो सीबीआई जांच करवाएंगे लेकिन इस सवाल का जवाब बीजेपी के पास भी नहीं था कि एक जूनियर अधिकारी को सीनियर अधिकारी पर लगे आरोपों की जांच का जिम्मा क्यों दिया गया.

स्थाई समिति के अध्यक्ष तिलकराज कटारिया ने सवाल पूछने पर बताया कि समिति के पास अपने अधिकार होते हैं और वो जूनियर या सीनियर देख कर नहीं बल्कि आरोपों की गंभीरता से जांच के लिए बनाई जाती है लेकिन फिर भी लगेगा तो किसी और संस्था की जांच भी करवाएंगे.

अब सवाल ये है कि जांच समिति भले ही बना दी गई हो लेकिन जो सवाल इस समिति पर उठ रहे हैं क्या उसे गलत साबित कर ये समिति पूरे मामले की निक्ष्पक्ष जांच कर पाएगी.

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