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रिटायर्ड श‍िक्षकों को अपने स्कूल में नियुक्त कर सकेंगे प्रिंसिपल

दिल्ली सरकार के मुताबिक अगर किसी स्कूल में किसी सब्जेक्ट के टीचर की कमी है, तो अब प्रिंसिपल को डिप्टी डायरेक्टर को कहने और फाइल भेजने की जरूरत नहीं होगी.

दिल्ली सरकार ने किया ऐलान दिल्ली सरकार ने किया ऐलान
रोशनी ठोकने/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल्स को अब जरूरत के हिसाब से रिटायर्ड टीचर्स नियुक्त करने का अधिकार दे दिया है. टीचर्स की कमी और मौजूदा टीचर्स के ट्रेनिंग या छुट्टियों पर जाने की स्थिति में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसलिए ये फैसला लिया गया है.

दिल्ली सरकार के मुताबिक अगर किसी स्कूल में किसी सब्जेक्ट के टीचर की कमी है, तो अब प्रिंसिपल को डिप्टी डायरेक्टर को कहने और फाइल भेजने की जरूरत नहीं होगी. अब प्रिंसिपल उस सब्जेक्ट के लिए सरकारी स्कूल के किसी रिटायर्ड टीचर को खुद नियुक्त कर सकेंगे.

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डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के मुताबिक, 'कई बार हम लोगों के सामने ऐसी स्थिति आती है, जब किसी टीचर को छुट्टी की जरूरत होती है, लेकिन टीचर्स की कमी की वजह से हमें उसे छुट्टी देने में दिक्कत आती है. लेकिन अब जरूरत के हिसाब से रिटायर्ड टीचर्स की नियुक्ति होने से इस दिक्कत का भी समाधान हो जाएगा'.

इसके लिए सरकारी स्कूल से रिटायर्ड टीजीटी और पीजीटी को www.edudel.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. आवेदन में वे अपनी सुविधा के अनुसार स्कूल का चयन कर सकेंगे. फिर संबंधित स्कूल में उनका इंटरव्यू होगा. चयन समिति में प्रिंसिपल, एक टीचर और एसएमसी के दो-तीन मेंबर्स शामिल होंगे. इस प्रक्रिया के तहत चयन के बाद भी जो रिटायर्ड टीचर्स बच जाएंगे, शिक्षा विभाग, डिस्ट्रिक्ट वाइज उनका एक पैनल बनाएगा. भविष्य में जब भी किसी स्कूल को टीचर्स की जरूरत होगी, तो वो इस पैनल से अपने यहां उनकी नियुक्ति कर सकेगा.

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आपको बता दें कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने हर स्कूल प्रिंसिपल्स को अपने यहां एक एस्टेट मैनेजर नियुक्त करने का अधिकार दिया था. अब दिल्ली के तकरीबन सभी सरकारी स्कूलों की हर पाली में एक-एक एस्टेट मैनेजर हैं. इन एस्टेट मैनेजर्स का काम स्कूल में साफ-सफाई इत्यादि सुनिश्चित करवाना है. पहले स्कूल में साफ-सफाई सुनिश्चित करवाने का काम प्रिंसिपल या किसी टीचर के जिम्मे होता था और इस वजह से वो बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते थे.

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