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ओडिशा ट्रेन हादसे के गुनहगार कौन? CBI के रडार पर कौन-कौन... कैसे आगे बढ़ेगी जांच

ओडिशा ट्रेन हादसे की जांच अब सीबीआई के हाथों में पहुंच गई है. जांच एजेंसी अलग-अलग एंगल से दुर्घटना की जांच कर रही है. लेकिन अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर सीबीआई किस डायरेक्शन में अपनी जांच आगे बढ़ाएगी और जांच एजेंसी के रडार पर कौन-कौन है?

ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद घटनास्थल पर कुछ ऐसे हालात थे. (फाइल फोटो) ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद घटनास्थल पर कुछ ऐसे हालात थे. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली/बालासोर,
  • 06 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:49 PM IST

तीन ट्रेन, दर्दनाक हादसा और 288 लोगों की मौत. ओडिशा के बालासोर में हुई दुर्घटना ने पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया है. सैकड़ों परिवारों ने अपने रिश्तेदारों को इस हादसे में खोया है. मौत से ज्यादा आंकड़ा घायलों का है, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस भीषण दुर्घटना के बाद अब कई ऐसे सवाल हैं, जो लोगों के जहन में उठ रहे हैं. जैसे आखिर इस हादसे का जिम्मेदार कौन है. इसकी जांच जब सीबीआई कर रही है तो फिर जांच एजेंसी के रडार पर आखिर कौन-कौन है. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस जांच को अपने हाथ में लेने के बाद आखिर सीबीआई किस दिशा में आगे बढ़ेगी.

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सीबीआई की टीम ने मंगलवार को दो बार बालासोर में घटना स्थल और बहनागा रेलवे स्टेशन पहुंचकर जांच की. टीम ने मेन लाइन और लूप लाइन दोनों की जांच की. CBI के अधिकारी इस दौरान सिग्नल रूम भी गए. टीम के साथ रेलवे के अधिकारी भी मौजूद थे. टीम का पूरा फोकस हादसे के पीछे की वजह और गुनहगार की पड़ताल करने पर है. इस सिलसिले में टीम रेलवे सुरक्षा एक्सपर्ट से भी विचार-विमर्श कर सकती है. जांच के लिए बनाई गई टीम का नेतृत्व सीबीआई के संयुक्त निदेशक (विशेष अपराध) विप्लव कुमार चौधरी कर रहे हैं. 

रेलवे कर्मचारियों से पूछताछ करेगी CBI

सीबीआई जल्द ही सहायक स्टेशन मास्टर एसबी मोहंती और बहनागा स्टेशन पर मौजूद अधिकारियों से पूछताछ करेगी. इसके साथ ही सिग्नल और ट्रैक की देखरेख करने वाले कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी. बता दें कि सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद जांच एजेंसी ने दोपहर 2.15 बजे एफआईआर दर्ज की थी. जांच अधिकारियों के मुताबिक केस दर्ज करना सीबीआई का शुरुआती काम है.

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इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ का अंदेशा

दरअसल, केस दर्ज किए बिना जांच एजेंसी कोई भी दस्तावेज या सामान इकट्ठा नहीं कर सकती, गवाहों से सवाल नहीं कर सकती, बयान दर्ज नहीं कर सकती या इसके साथ ही वह किसी भी ठिकाने की तलाशी भी नहीं ले सकती. शुरुआती जांच के बाद रेल मंत्रालय ने सीबीआई को इसमें शामिल किया गया था. जांच एजेंसी को इस केस में इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि शुरुआती जांच में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ छेड़छाड़ होने का अंदेशा जताया गया था.

करंट लगने से भी हुई कई लोगों की मौत

हादसे के बाद दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि कई लोगों की मौत ओवरहेड लो-टेंशन लाइन के संपर्क में आने के बाद करंट लगने से भी हुई है. अधिकारियों के मुताबिक तीन ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद कोच के पलटने से ओवरहेड तार टूट गए और बिजली के खंभे नीचे आ गए. 

पहले की जांचों का नहीं निकला कोई नतीजा!

इस जांच को आगे बढ़ाने के लिए सीबीआई रेलवे सुरक्षा और फोरेंसिंक विशेषज्ञों की मदद भी ले सकती है. बता दें कि मामले की जांच सीबीआई को दिए जाने का कई राजनेता विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे पहले भी इस तरह के जिन मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी, उनका कोई नतीजा ही नहीं निकला. हालांकि, इन सवालों पर सीबीआई के पूर्व निदेशक एपी सिंह ने कहा कि हो सकता है सीबीआई के पास तकनीकी विशेषज्ञता न हो, लेकिन वे रेलवे सुरक्षा विशेषज्ञों का साथ ले सकते हैं.

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विपक्ष क्यों कर रहा है सीबीआई जांच का विरोध

कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी और पवन कुमार बंसल ने रेल दुर्घटना की सीबीआई जांच के लिए सरकार की आलोचना की है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार पन्नों का एक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने 11 बिंदु उठाए और तर्क दिया है कि सीबीआई अपराध की जांच करती है, रेल दुर्घटनाओं की नहीं. उन्होंने कहा, सीबीआई या कोई अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी तकनीकी निर्देशों और राजनीतिक विफलताओं के लिए जवाबदेही तय नहीं कर सकती है.

कांग्रेस ने याद दिलाए 5 बड़े हादसे

इस हादसे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा. वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सीबीआई जांच को लेकर सरकार पर निशाना साधा. जयराम ने कहा, बालासोर ट्रेन दुर्घटना में रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट से पहले ही सीबीआई जांच की घोषणा कर दी गई है. यह कुछ और नहीं, बल्कि हैडलाइन मैनेजमेंट है. सरकार डेडलाइन पूरा करने में पूरी तरह से विफल है. उन्होंने आगे कहा- अब इस क्रोनोलॉजी को याद कीजिए-

> 20 नवंबर, 2016: इंदौर-पटना एक्सप्रेस कानपुर के पास पटरी से उतर गई. इस दुर्घटना में 150 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई.

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> 23 जनवरी, 2017: तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर इस दुर्घटना की NIA जांच कराने की मांग की.

> 24 फरवरी, 2017: प्रधानमंत्री ने कहा कि कानपुर रेल दुर्घटना एक साज़िश है.

> 21 अक्टूबर, 2018: अखबारों में रिपोर्ट आई कि NIA इस मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी.

> 6 जून, 2023: कानपुर ट्रेन हादसे पर NIA की अंतिम रिपोर्ट को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक खबर नहीं आई है. कोई जवाबदेही नहीं.

कैसे हुआ हादसा?

रेलवे की तरफ से बताया गया कि ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त डिरेल होकर वो अप लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. ट्रेन पूरी रफ्तार (फुल स्पीड) में थी, इसका परिणाम यह हुआ कि 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए.

दरअसल, बहानगा बाजार स्टेशन पर इन ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है. ऐसे में दोनों ही ट्रेनों की रफ्तार तेज थी. बहानगा बाजार स्टेशन से गुजर रही कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक पटरी से उतरी तो ट्रेन के कुछ डिब्बे मालगाड़ी से जा भिड़े. इसी दौरान हादसे के समय डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बे भी पटरी से उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए. हादसा भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से करीब 171 किलोमीटर और खड़गपुर रेलवे स्टेशन से करीब 166 किलोमीटर दूर स्थित बालासोर जिले के बहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ.

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