
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल (SGRH) में 21 साल की पार्वती ने लिवर डोनेट कर अपने 29 साल के पति शिव की जान बचाकर शिव-पार्वती की जोड़ी को चरितार्थ कर दिया है. जी हां, ‘लीवर सिरोसिस’ से ग्रस्त बिहार के 29 वर्षीय शिव को पत्नी द्वारा अंगदान करने से एक नया जीवन मिला है. डॉक्टरों ने बताया कि लीवर डोनेट की सर्जरी 12 घंटे तक चली और यह बहुत चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि दोनों के ब्लड ग्रुप अलग-अलग थे.
डॉक्टरों के मुताबिक, चुनौती यह थी कि मरीज शिव का ब्लड ग्रुप ‘बी पॉजिटिव’ था और उसके भाई-बहनों में किसी का भी यह ग्रुप नहीं था. उन्होंने कहा कि वैसे तो उसकी 21 वर्षीय पत्नी अपना लीवर डोनेट करना चाहती थी, लेकिन उसका भी ब्लड ग्रुप ‘ए पॉजिटिव’ था.
सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि छह महीने पहले पार्वती ने पाया कि उसका पति बिस्तर पर बेहोश पड़ा है. उनके अनुसार वह तत्काल उसे इलाज के लिए ले गयी, तब जांच में पता चला कि शिव को ‘लीवर सिरोसिस’ बीमारी हो गई है जो आखिरी स्टेज में है, जिसके चलते उन्हें लीवर मस्तिष्क बीमारी हो गई है. (जिसमें व्यक्ति बेहोश हो जाता है.)
अस्पताल के मुताबिक, यह खबर परिवार के लिए बहुत बुरी थी. क्योंकि शिव छह सदस्यों के परिवार में एकमात्र कमाऊ था. परिवार में शिव दंपत्ति के अलावा बुजुर्ग मां-बाप और दो बच्चे हैं .
डॉक्टरों ने बताया कि बिहार एवं दिल्ली में कई अस्पतालों का चक्कर काटने के बाद वे लोग SGRH आये. यहां के मुख्य लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. नैमिष मेहता ने बताया कि उसे (शिव को) लीवर ट्रांसप्लांट कराने और उपयुक्त अंगदान करने वाले को ढूंढने को कहा गया. डॉक्टरों ने बताया कि हमारे सामने चुनौती थी कि शिव और उसकी पत्नी के ब्लड ग्रुप अलग-अलग थे.
इसलिए परिवार को ‘ब्लड ग्रुप इनकम्पैटिबल (Blood Group Incompatible)’ लिवर ट्रांसप्लांटेशन (ABOi) के बारे में सलाह दी गई, जिसे पर्याप्त प्री-ऑपरेटिव तैयारी के साथ किया जा सकता है. आखिरकार पत्नी पार्वती के लिवर की जांच की गई और लिवर ले लिया गया.