
दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार, दिल्ली के उपराज्यपाल और कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) को अपने-अपने पोर्टल पर सीएजी रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए अपनी संवैधानिक और वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में मांग की गई है कि रिपोर्ट को जनता के लिए सुलभ बनाया जाए, जिससे लोगों को आगामी चुनावों में वोट डालने से पहले दिल्ली की वित्तीय स्थिति के बारे में पूरी जानकारी मिल सके.
सीएजी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर सेवानिवृत्त सिविल सेवक बृज मोहन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने सीएजी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्देश देने की मांग की गई है, भले ही स्पीकर रिपोर्ट्स को पेश करने के लिए दिल्ली विधानसभा की बैठक बुलाने में विफल रहे.
अब 24 जनवरी को होगी सुनवाई
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीएजी से ये स्पष्ट करने को कहा कि क्या सीएजी रिपोर्ट सार्वजनिक की जा सकती है. अब इस याचिका पर 24 जनवरी के सुनवाई होगी.
'ये संविधान के साथ है धोखाधड़ी'
याचिका में तर्क दिया गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत "जानने का मौलिक अधिकार" है और दावा किया गया है कि सीएजी रिपोर्ट को रोकना संविधान के साथ धोखाधड़ी है. जो दिल्ली के मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण है. याचिका में आगे इस बात पर जोर दिया गया है कि वोट डालने से पहले लोगों को दिल्ली की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश करने की विधायी प्रक्रिया के बावजूद, दिल्ली के मतदाताओं को आगामी विधानसभा चुनावों में वोट डालने से पहले इन रिपोर्टों की सामग्री तक पहुंचने का अधिकार है.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इन रिपोर्टों को दबाने के प्रशासनिक या राजनीतिक प्रयासों से सीएजी की संवैधानिक संस्था की प्रभावशीलता को कम नहीं किया जाना चाहिए. याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि सीएजी रिपोर्ट को रोकना, खासकर जब उनमें दिल्ली के मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी हो, ये संविधान के साथ धोखाधड़ी है.