
पर्यावरण के मुद्दे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका लगाई गई है जिसमें कहा गया है कि साउथ दिल्ली के तकरीबन आधा दर्जन इलाकों में रीडिवेलपमेंट के नाम पर करीब 16,500 पेड़ों को काटने की इजाजत दी गई है. याचिका में कहा गया है कि यह इजाजत केंद्र सरकार और उनके मंत्रालयों ने गलत तरीके से दी है.
याचिका में कहा गया है कि इन सभी इलाकों में कुल मिलाकर 20,000 पेड़ हैं जिनमें से 16,500 पेड़ काट दिए गए तो पर्यावरण को और दिल्ली को इससे भारी नुकसान होगा. बता दें कि पेड़ काटने को लेकर सबसे बड़ी मार सरोजिनी नगर इलाके में पड़ने वाली है जहां पर कुल 13,500 पेड़ हैं जिसमें से 11,000 पेड़ों को काटे जाने की अनुमति दी जा चुकी है.
दरअसल एनबीसीसी साउथ दिल्ली के इलाकों में पुरानी इमारतों को तोड़कर बड़ी बहुमंजिला इमारतें बना रही है और उसी के लिए इन पेड़ों को काटा जा रहा है. सरोजिनी नगर के अलावा कस्तूरबा नगर, नेरोजी नगर, नेताजी नगर, त्याग राज नगर और मोहम्मद पुर शामिल है.
कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीपीडब्ल्यूडी और रीडिवेलपमेंट का काम कर रही नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन यानी एनबीसीसी समेत कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है. सोमवार को इस मामले में कोर्ट दोबारा सुनवाई करेगा. हालांकि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इन पेड़ों को काटने को लेकर स्टे लगाने से यह कहकर इंकार कर दिया कि बिना एनबीसीसी का पक्ष जाने केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगाना तुरंत रोक लगाना गलत होगा.
रीडिवेलपमेंट के नाम पर इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को काटे जाने की केंद्र सरकार के मंत्रालयों से मिली अनुमति को दिल्ली सरकार ने आड़े हाथों लिया है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि इन पेड़ों को कटने से रोकने के लिए वह भी कोर्ट में पुरजोर विरोध करेगी.
विरोध में लोगों ने जलाई मोमबत्तियां
दिल्ली में पेड़ काटे जाने के फैसले से जनता काफी गुस्से में है. पर्यावरण प्रेमी और साउथ दिल्ली के लोग जिसमें बच्चे और सीनियर सिटीजन भी शामिल हैं, काफी नाराज हैं. उन्होंने मोमबत्तियां जलाकर और 'Save Delhi Tree' व 'My Right To Breathe' जैसे स्लोगनों के साथ अपना आक्रोश व्यक्त किया. पर्यावरण एक्टिविस्ट बिकेश ने बताया कि कि वो व्हॉट्सऐप ग्रुप से जोड़कर लोगों जागरुक कर रहे हैं. आम जनता के साथ- साथ गैर सरकारी संगठनों भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.