
देश की राजधानी दिल्ली में 4 नवंबर से लागू ऑड-ईवन स्कीम का असर दिखाई देना शुरू हो गया और प्रदूषण के स्तर में काफी कमी दर्ज की गई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों से पता चलता है कि सोमवार से लागू हुई ऑड-ईवन स्कीम से 8 घंटे में ही दिल्ली के प्रदूषण के 82 फीसदी की कमी आई है.
सोमवार सुबह से ही पीएम 2.5 का स्तर गिरना शुरू हो गया. एयर क्वालिटी इंडेक्स 575 सुबह 8 बजे से सिर्फ एक घंटे में ही 454 कम हो गया और यह गिरावट लगातार जारी रही. AQI घटकर शाम 7 बजे 103.6 पर आ गया. इस तरह पूरे दिन में प्रदूषण के स्तर में 62 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई.
अगर आपके पास एंड्रॉएड फोन है तो यहां आपके आस-पास की हवा में प्रदूषण का हाल मिलेगा
इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि सिर्फ ऑड-ईवन स्कीम से ही प्रदूषण का स्तर नहीं घटा बल्कि इसके लिए अन्य कारकों ने भी दिल्ली को जहरीले स्मॉग से राहत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
सोमवार को सुबह लगभग 11 बजे हवा की गति 17-19 किमी/घंटा दर्ज की गई. इसके अलावा मंगलवार को भी हवा की गति लगभग 19 किमी/घंटा रहने की संभावना है.
दिल्ली सरकार के अधिकारियों के मुताबिक ऑड-ईवन स्कीम के तहत अगले दो सप्ताह 4-15 नवंबर तक हर दिन लगभग 12 लाख पंजीकृत वाहन सड़कों पर उतरेंगे. आम आदमी पार्टी सरकार ने 2016 के बाद से तीसरी बार ऑड-ईवन स्कीम लागू की है.
हालांकि, आस-पास के राज्यों में पराली जलने की वजह से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खराब हुई है. अगर उत्तर पश्चिमी हवा में नमी और हवा की गति धीमी हो जाती है, तो दिल्ली में कभी भी फिर ऐसे ही हालात हो सकते हैं.
पंजाब और हरियाणा में किसान अभी भी पराली जला रहे हैं. हालांकि, नासा के प्रोजेक्ट के डेटा से पता चलता है कि हरियाणा ने पिछले दो दिनों में पराली जलाने में मामलों में काफी कमी आई है.
DIU ने नासा प्रोजेक्ट के माध्यम से विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट (VIIRS) से उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण किया. जिससे पता चलता है कि सोमवार को शाम 5.30 बजे तक 5,300 से अधिक सक्रिय अग्नि बिंदु (जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत पंजाब में है) का पता चला.
पराली जलाने की सैटेलाइट तस्वीरें से पता चलता है कि सोमवार शाम 5.30 बजे तक 5,300 से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई जा रही है, जिसमें से करीब 90 प्रतिशत पंजाब में जल रही है.
गौरतलब है कि दिल्ली और उत्तर भारतीय राज्यों में वायु प्रदूषण सर्दियों में ज्यादा बढ़ता है, क्योंकि किसान इस मौसम में फसल के अवशेषों यानी पराली को जलाते हैं. जिससे वह खेत को खाली करके अगली फसल के लिए जमीन को तैयार कर सकें.